जदयू के राज्यसभा सांसद किंग महेंद्र इस बार फिर से उच्च सदन में जाना चाहते हैं. लेकिन उन्हें पार्टी रिपीट नहीं करना चाहती. कहा जाता है कि पार्टी फंड में भरपूर योगदान के चलते उन्हें बारबार टिकट मिल जाता है.

(स्वामी की सेवा में किंग, फािल फोटो)

नौकरशाही मीडिया

लेकिन  इसबार जदयू से उन्हें नाउम्मीदी हाथ लगने की संभावना है. ऐसे में सियासत के गलियारे में चर्चा है कि इस बार किंग महेंद्र अपने कारोबारी साम्राज्य के प्रभाव के बजाये  एक ‘स्वामी’ की पैरवी के बूते जदयू से राज्यसभा का टिकट लेने में जुटे हैं. इस बार चित्रकूट के एक विख्यात संत स्वामी रामभ्रदाचार्य   ने बीते दिनों नीतीश कुमार से मुलाकात की है. सियासी गलियारे में  चर्चा है कि स्वामी ने किंग महेंद्र को पुन: राज्यसभा भेजने की पैरी मुख्यमंत्री से की है. हालांकि  नौकरशाही ़डॉट कॉम इस सच्चाई की पुष्टि नहीं करता.

गौरतलब है कि किंग महेंद्र, लगातार बार -बार राज्य सभा के सदस्य बनते रहे हैं. पिछली बार के राज्यसभा चुनाव में जदयू ने पहले अपने तमाम चार सांसदों को राज्यसभा में रिपीट न करने का फैसला लिया था. इनमें किंग महेंद्र का भी नाम था. तब अली अनवर भी राज्यसभा के तत्कालीन सांसद थे. उन्हें पार्टी ने साफ कह दिया था कि उनके समेत किसी भी सदस्य को रिपीट नहीं किया जायेगा. लेकिन आखिर आखिर में किंग महेंद्र अड़ गये. जानकारों का कहना है कि उस समय किंग महेंद्र की जिद्द के सामने पार्टी को झुकना पड़ा. नतीजा यह हुआ कि किंग महेंद्र को रिपीट करने की मजबूरी में पार्टी ने अली अनवर को भी दोबारा सांसद बना दिया.

 

लेकिन इस बार किंग के लिए मुश्किल हो रही है. समझा जाता है कि इस बार किंग की सदस्यता के लिए पार्टी आलाकमान ने कोई हामी नहीं भरी है. लेकिन स्वामी के बिहार आगमन से यह चर्चा फिर निकल गयी है कि क्या जदयू अपना स्टैंड बदलेगा?

ध्यान रहे कि किंग महेंद्र हर हाल में, और लगभग हर दल की तरफ से राज्यसभा के सदस्य, समय समय पर बनते रहे हैं. इससे पहले वह लालू यादुव की पार्टी के अलावा कांग्रेस से भी राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. पिछले एक दश से भी ज्यादा समय से वह जदयू के कोटे से राज्य सभा में रहे हैं. लेकिन इस बार 23 मार्च को हो रहे चुनाव में जदयू उनके भविष्य पर क्या फैसला करेगा, यह देखना बाकी है.

 

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