केएस द्विवेदी एक मार्च से बिहार के डीजीपी का पद संभाल रहे हैं. भागलपुर के कुख्यात दंगा के समय द्विवेदी वहां एसपी थे. दिलीप मंडल ने जांच आयोग की रिपोर्ट साझा किया है जिसमें उनकी भूमका को ‘साम्प्रदायिक पक्षपाती’ बताया गया था.

समाज विज्ञानी दिलीप मंडल ने कहा है कि द्विवेदी की कहानी भागलपुर के बदनाम दंगों से जुड़ी है. 1989 में रामशिला पूजन के बीजेपी का कार्यक्रम के दौरन हुए दंगों में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे.द्विवेदी उस समय भागलपुर के एसपी थे.इन दंगों की जांच के लिए बने न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में द्विवेदी को इन दंगों के लिए दोषी ठहराया था. जस्टिस प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट में लिखा है – His communal bias was fully demonstrated, not (only) by the manner of arresting the Muslims but also by not extending adequate help to protect them.”

यानी “द्विवेदी सांप्रदायिक रूप से पक्षपात कर रहे थे. यह बात न सिर्फ मुसलमानों की गिरफ्तारी के उनके तरीकों से दिख रही थी, बल्कि वे उनकी सुरक्षा का बंदोबस्त भी नहीं कर रहे थे.”

मंडल ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि द्विवेदी ने एसपी रहने के दौरान बीजेपी के जुलूस को मुसलमान बस्तियों से गुजरने की इजाजत दी और उपद्रव होने दिया.
न्यायिक आयोग की इतनी स्पष्ट रिपोर्ट के बावजूद न सिर्फ द्विवेदी की नौकरी बची रही, बल्कि अब वे बिहार में पुलिस के मुखिया भी बन गए. जबकि एक विपरीत टिप्पणी के बाद कितने अफसरों का करियर बर्बाद होते हम सबने देखा है.

उधर राजद के राष्ट्रीय प्रवक्त मनोज झा ने कहा है कि द्विवेदी की नियुक्ति निश्तिच तौर पर नागपुर( आरएसएस) के इशारे हुई है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पर यकीनन इस नियुक्ति के लिए दबाव रहा होगा.

उधर केएस द्विवेदी ने अपनी प्राथमिकता गिनाते हुए कहा है कि आर्थिक अपराध पर लगाम लगाना और आम लोगों के विश्वास को पुलिस पर बढ़ाना उनकी जिम्मेदारी होगी.

द्विवेद 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और फिलवक्त डीजी ट्रेनिगं के पद पर हैं. वह इस पद पर एक साल तक रहेने के बाद रिटायर करेंगे.

 

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