क्या प्रशांत किशोर की कंपनी बिहार के युवाओं का शोषण कर रही

प्रशांत किशोर से जुड़ी कंपनी में सैकड़ों युवा काम कर रहे, पर जो पीके बिहार के हक की बात कर रहे, वे अपने कर्मियों को कुशल मजदूर की मजदूरी भी नहीं दे रहे।

इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

प्रशांत किशोर और उनकी #जनसुराज_यात्रा से जुड़े कुछ फैक्ट्स मैंने कल साझा किया था। आज कुछ और तथ्य जानिए। ये जानकारियां होश उड़ाने वाली हैं। मैंने ये जानकारियां पीके के नेतृत्व में चलने वाली नियोक्ता कम्पनी में काम कर रहे या कर चुके लोगों से जुटाई गई है।

प्रशांत किशोर बार-बार तेजस्वी यादव @yadavtejashwi को टारगेट कर यह कहते नहीं थकते कि 9 वीं पास लालूजी के बेटा सीएम बने के सपना देखत बाड़ें, आ रउवा लोग के बेटा मजदूरी करी। दूसरी तरफ खुद पीके से जुड़ी कम्पनी में विशेषज्ञों (एक्सपर्ट) की भूमिका में काम करने वालों युवाओं की हालत मजदूरों से ज़्यादा अच्छी नहीं है। कुछ महीने पहले रिसर्च व कंपेन के लिए योग्य व प्रतिभाशाली युवाओं की नियक्ति की गई। इनमें अक्सर युवा बेहतरीन यूनिवर्सिटियों से पास आउट स्कालर्स हैं। इनकी सैलरी 19500 रुपये तय की गई। गौर करें यह सैलरी एक कुशल मज़दूर (राज मिस्त्री, कारपेंटर) की दिहाड़ी ₹700 रोजाना से भी कम है। इस पर भी तुर्रा यह कि बिहार में योग्य बेरोजगारों की भीड़ को देख कर ₹19500 की न्यूनतम मासिक तनख्वाह को भी घटाने को लेकर कम्पनी प्रबंधक दबाव बना रहा है।

इस कंपनी में काम कर चुके एनालिस्ट बताते हैं कि अनेक युवा ₹19,500 से कम मासिक सैलरी पर काम करने को बेबस हैं। गौर करें कि दिल्ली, पंजाब, बंगाल में कंपेन चलाते हुए वहां ज़्यादा सैलरी दी गई। बिहारियों का क्या ये शोषण नहीं है? मालूम हो कि इनकी कंपनी में खास जाति के युवा ज्यादा हैं, जिनके भीतर लालू परिवार के विरुद्ध भावना को हवा देकर उन्हीं का शोषण कर रहे हैं।

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