राज्यपाल लालजी टंडन ने देश की नारियों को सृजनशील बताया और कहा कि अन्य प्रक्षेत्रों की तरह साहित्य के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान अप्रतिम रहा है। 

श्री टंडन ने आज पटना के प्रतिष्ठित जे.डी. वीमेन्स कॉलेज सभागार में आयोजित ‘साहित्योत्सव-2019’ को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय समाज नारियों की सृजनशीलता का बराबर कायल रहा है। ज्ञान-विज्ञान के अन्य प्रक्षेत्रों की तरह साहित्य में भी महिलाओं का अप्रतिम योगदान रहा है। मानवीय संवेदना से जुड़े बहुतेरे ऐसे क्षेत्र हैं जिनका अध्ययन कर महिलाओं ने बहुत उत्कृष्ट साहित्य की रचना की है।

राज्यपाल ने कहा कि साहित्य में नारियों की दोनों तरह की छवियाँ चित्रित हुई हैं। नारियों के प्रति सम्मान, श्रद्धा और आदर की भावना भारतीय साहित्य एवं समाज में शुरू से रही है लेकिन दूसरी ओर नारी-जीवन के उत्पीड़न, संत्रास आदि पर भी साहित्य-सर्जनाएँ हुई हैं।

श्री टंडन ने कहा कि जीवन एवं समाज के कई ऐसे अनछुए पक्ष आज भी हैं जिनका अध्ययन और अनुभव कर बहुआयामी और व्यापक प्रभाव वाले साहित्य की रचना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य में आज महिला साहित्यकार पूरी सक्रियता के साथ अपनी समस्याओं और चुनौतियों को चित्रित कर रही हैं, साथ ही व्यापक मानवीय संवेदनाओं और हितों का भी उल्लेख कर रही है।
राज्यपाल ने एक सामाजिक आन्दोलन के क्रम में अपनी एक जेल-यात्रा का संस्मरण साझा करते हुए कहा कि जेल में कई निरपराध कैदी भी रहते हैं, जिनके जीवन के उद्वेलनों और संत्रासों का भी मनोवैज्ञानिक अध्ययन और विश्लेषण साहित्य के व्यापक कैनवास पर हो सकता है। श्री टंडन ने कहा कि स्व. अमृत लाल नागर के सानिध्य में रहते हुए उन्होंने मानवीय समाज, साहित्य और संस्कृति के बारे में जितना ज्ञान प्राप्त किया है, उतना किसी विश्वविद्यालय-परिसर में भी आज संभव नहीं।
श्री टंडन ने कहा कि शंकराचार्य को अंततः मंडन मिश्र की विदूषी पत्नी भारती मिश्रा ने ही शास्त्रार्थ में पराजित कर भारतीय नारीत्व की गरिमा और महिमा को स्थापित किया था।

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