लालू के पांच संदेश, जो राजद के भविष्य को बनाएंगे उज्जवल

राजद के स्थापना दिवस पर आज लालू प्रसाद ने पूरी पार्टी को संबोधित किया। उन्होंने अतीत को याद करते हुए राजद के भविष्य के पांच सूत्र बता दिए।

कुमार अनिल

आज लालू प्रसाद ने राजद की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर पूरी पार्टी को संबोधित किया। उन्हें सुनने के लिए पार्टी कार्यकर्ता पहले से उत्साहित थे। उनके भाषण पर ऊपर-ऊपर नजर डालें, तो किसी को लग सकता है कि लालू प्रसाद ने केवल अतीत की बातें, लेकिन वास्तव में अतीत की चर्चा के लिए उन्होंने जिन खास पांच बातों का जिक्र किया, उसमें राजद के भविष्य की सफलता के सूत्र छिपे हैं।

1. लालू प्रसाद ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव की चर्चा की। वे जेल में थे और पहली बार उनके बिना पार्टी को विधानसभा चुनाव में जाना था। सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी थी। उनके पीछे पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लगातार लालू-राबड़ी पर हमले कर रहे थे। विरोध में बड़ी सेना थी। तब उन्हें युवा तेजस्वी ने भरोसा दिलाया था कि पापा, आप चिंता न करें। और तेजस्वी जब मैदान में उतरे, तो विरोधी सेना में खलबली मचा दी। तो लालू ने तेजस्वी पर भरोसा जता कर बता दिया कि तेजस्वी बिहार में बदलाव की लड़ाई के नेता हैं और ऐसा करने में वे सक्षम हैं।

2. लालू ने बताया कि 80 के दशक में बिहार की क्या हालत थी। गरीबों को खटिया, कुर्सी पर बैठने नहीं दिया जाता था। बस में सीट से उठा दिया जाता था। गरीब बूढ़े हो जाते थे, पर उनके नसीब में मतपत्र देखना और वोट देना नहीं था। राजद ने गरीबों को उसका हक दिलाया। उन्हें बोलना सिखाया। लालू ने राजद की सफलता का दूसरा सूत्र बताया कि समाज के गरीब ही पार्टी के मुख्य आधार थे और वही आगे भी रहेंगे।

3. उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को याद किया। कहा कि पार्टी ने उनके अरमानों को एक हदतक पूरा किया है और आगे भी उनके बताए रास्ते पर चलना है। इस विशेष अवसर पर कर्पूरी ठाकुर को याद करने का भी खास महत्व है। राजद ही कर्पूरी की विरासत का झंडाबरदार है।

4. लालू ने कहा कि उन्होंने पांच-पांच प्रधानमंत्री बनाने में सहयोग किया। संदेश यह है कि अगर आप बिहार में मजबूत रहेंगे, तो दिल्ली की राजनीति को भी प्रभावित करेंगे।

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5. अंतिम पांचवां, पर ऊपर के चार सूत्रों से कम महत्वपूर्ण नहीं कि भाजपा पर विश्वास मत करना। लालू ने बताया कि मंडल कमीशन की सिफारिश लागू करने पर किस तरह भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। वीपी सिंह की सरकार ने जब दशकों से चल रहे पिछड़ों के आंदोलन की मुख्य मांग को स्वीकार किया, तो भाजपा ने सरकार गिरा दी। लालू ने एक लाइन में नीतीश कुमार पर भी अपनी राय दे दी। कहा, नीतीश मंत्री बनने के लिए व्याकुल थे। हमने तबके प्रधानमंत्री से कहके नीतीश को केंद्र में राज्यमंत्री बनवा दिया। लालू ने व्याकुल शब्द का इस्तेमाल किया। सूत्र यह दिया कि सत्ता के लिए व्याकुल नहीं होना है, गरीबों की, बिहार की लड़ाई को तेजस्वी के नेतृत्व में आगे बढ़ाना है।

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