लानत है उन मां-बाप पर! बेटे के लूट लाए TV पर कैसे देखेंगे रामायण

जहां से बुद्ध और महावीर बार-बार गुजरे, उसी बिहारशरीफ की दुकान लूट ली गई। जो मां-बाप लूट लाने वाले बेटे को मौन समर्थन दे रहे, उनका घर भी कलह में जलेगा।

कुमार अनिल

बिहारशरीफ का एक वीडियो आपने देखा होगा। नहीं देखा, तो नीचे देख लीजिएगा। वीडियो में दिख रहा है कि पचासों की संख्या में युवक एक दुकान में घुस कर लूट रहे हैं। दुकान मोबाइल-टीवी और इलेक्ट्रोनिक सामग्री की थी। जिसे जो मिल रहा है, लूट रहा है। जब ये युवा टीवी लूट कर अपने घर ले गए होंगे, घर की दीवार पर सेट किया होगा, तो मां-बाप ने क्या किया? ऐसी एक भी खबर नहीं आई कि किसी पिता ने, किसी माता ने बेटे को फटकार लगाई हो और कहा हो कि सामान जहां से ले लाए वहीं रख आओ, वहां नहीं रख सकते तो सड़क पर रख दो, पर घर में चोरी और लूट का सामान नहीं रखने देंगे। फिल्मकार विनोद कापरी ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा-रामनवमी हिंसा के बाद #बिहारशरीफ में बीजेपी के ही मुस्लिम नेता और कारोबारी @HyderAzam का शोरूम लूट लिया गया।

सच है, लूट और चोरी का सामान जब घर में आता है, तो अपने साथ लूट और चोरी का विचार भी लाता है। छल-कपट और दूसरे की संपत्ति हड़प लेने का विचार भी लाता है। जिन मां-बाप ने घर में लूट का सामान लाने दिया, उनके घर में भी एक दिन लूट और हड़प मचेगी। कल बाहर हड़पने को नहीं मिलेगा, तो एक भाई, दूसरे भाई का हिस्सा हड़पेगा। हड़पेगा, तो घर में हिंसा भी होगी। भाई नहीं मिलेगा, तो चाचा का हड़पेगा। कोई नहीं मिलेगा तो मां-बाप का हड़पेगा। ऐसे बेटे ही बाप-मां को रोटी के लिए तरसाते हैं। हाल की खबर पढ़ी होगी कि करोड़ों की संपत्ति, पोता आईएएस, फिर भी बुजुर्ग दंपती को रोटी को लिए तरसना पड़ा। दोनों ने आत्महत्या कर ली।

दंगाइयों ने एक पुराने मदरसे की लाइब्रेरी को भी जला दिया। जो दूसरे धर्म के प्रति सद्भाव नहीं रखता, दूसरे धर्म के लोगों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव नहीं रख सकता, तय मानिए वह अपने घर में भी करुणा और प्रेम का भाव नहीं रख सकता। उस घर में कलह होना तय है।

भगवान महावीर के पांच सिद्धांतों में अहिंसा और चोरी न करना भी है। बुद्ध ने भी अहिंसा की बात की। नालंदा की धरती ऐसी है, जहां बार-बार दोनों के पांव पड़े। रोहतास से भी बुद्ध गुजरे हैं। दोनों ने गांव-गांव को जगाया। उस धरती से लूट और हिंसा की तस्वीरें दुनिया भर में जा रही हैं, जो विचलित करने वाली हैं।

जो बुद्ध और महावीर को मानते हैं, वे एक नई पहल करें, तो बेहतर होगा। स्कूलों-कॉलेजों में अहिंसा और आदमी के लिए उसके महत्व पर चर्चा होनी चाहिए। नई पीढ़ी तक दोनों के संदेश को पहुंचाने के विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।

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