भाजपा के साथ सरकार गठन के बाद घोटाले नीतीश सरकार  की पीछा नहीं छोड़ रहे हैं.चार महीनों में सृजन घोटाला, महादलित मिशन घोटाला, तटबंध घोटाला, शौचालय घोटाला समेत अनेक घोटालों की सूची में अब अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला भी जुड़ गया है.

अल्पसंक्यक छात्रवृत्ति घोटाले का पर्दाफाश सुपौल जिला में हुआ है और माना जा रहा है कि यह घोटाला 3 करोड़ या उससे भी अधिक का है. इसके तहत करोड़ों रुपये की राशि का वितरण नियमों का घोर उल्लंघन करके किया गया है. इस मामले को जिला प्रशासन ने घोटाला स्वीकार करते हुए पूर्व के चार जिला शिक्षापदाधिकारियों के खिलाफ प्रपत्र क गठित कर दिया है. साथ ही जिलाधिकारी वैद्यनाथ यादव ने इस मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम गठित की है.

गौरतलब है कि इस घोटाले के तहत गैरमान्यता प्राप्त मदरसों, एजुकेशनल सोसाइटियों, चैरिटेबल फाउंडेशन के बीच भी छात्रवृत्ति की राशि वितरित कर दी गयी है. जबकि इन संस्थानों से जुड़े छात्रों को यह छात्रवृत्ति नहीं मिलनी चाहिए थी.

इससे संबंधित रिपोर्ट में जिला के तत्कालीन डीईओ रितेश झा, वशिष्ठ नारायण झा, कौशल किशोर और सुलतान अहमद समेत दो लिपिकों को भी इस घोटाले का दोषी माना गया है.

 

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