महागठबंधन का कल हल्ला बोल सम्मेलन, कांग्रेस बाहर

ढाई साल बाद महागठबंधन ने नीतीश सरकार के खिलाफ पूरी रणनीति बनाकर जमीन पर संघर्ष के लिए उतरने का फैसला कर लिया है। कल हल्ला बोल सम्मेलन।

2020 विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार महागठबंधन ने नीतीश सरकार के खिलाफ संघर्ष के मुद्दे और रणनीति बनाकर जमीन पर उतरने का फैसला कर लिया है। आज राजद ने 5 जून संपूर्ण क्रांति दिवस पर होनेवाले कार्यक्रम के लिए पोल्टर जारी कर दिया। कल के कार्यक्रम का नाम हल्ला बोल सम्मेलन दिया गया है। पोस्टर में ऊपर लालू-राबड़ी के साथ वामवंथी नेताओं की तस्वीर है और बीच में तेजस्वी यादव की अभियान के लिए निकलते दिख रहे हैं। पोस्टर में किसी कांग्रेसी नेता की तस्वीर नहीं है। साफ है, नीतीश सरकार के खिलाफ हल्ला बोल आंदोलन से उसे बाहर कर दिया गया है। कल हल्ला बोल सम्मेलन बापू सभागार, गांधी मैदान में 11 बजे होगा।

इस बीच राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने नीतीश सरकार से स्व रघुवंश बाबू की अंतिम इच्छा पूरी करने की मांग की है। उन्होंने कहा-आगामी 6 जून को रघुवंश बाबू की 76 वीं जयंती है। रघुवंश बाबू को जब यह आभास हो गया था कि वे अब कुछ हीं दिनों के मेहमान हैं तो मरणासन्न स्थिति में ही 10 सितम्बर 2020 को उन्होंने मुख्यमंत्री को सम्बोधित करते हुए तीन पत्र और एक पत्र सिंचाई मंत्री को सम्बोधित करते हुए लिखा था। 13 सितम्बर को उनका निधन हो गया ।

राजद प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री को लिखे पहले पत्र में उन्होंने माँग की थी कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को वैशाली गढ पर सरकारी आयोजन किया जाये और महामहिम राज्यपाल महोदय अथवा मुख्यमंत्री द्वारा झंडोतोलन किया जाये जैसे एकीकृत बिहार में पटना और राँची में झंडोतोलन की परम्परा थी। दूसरे पत्र में उन्होंने भगवान बुद्ध का भिक्षा-पात्र अफगानिस्तान से वैशाली मंगवाने की माँग की थी। मुख्यमंत्री को लिखे तीसरे पत्र में रघुवंश बाबू ने मनरेगा से आम किसानों को जोड़ने की माँग की थी। जिससे मजदूरों को काम भी मिलेगा और किसानों को मजदूर की उपलब्धता के साथ हीं आर्थिक बोझ भी हल्का होगा।

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