बिहार दिवस: दुनिया भर में बिहारी राज मिस्त्री से ले कर राष्ट्रपति तक की भूमिका निभा रहे हैं, जानिये उसके निर्माताओं को

22 मार्च का दिन बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है. एक बिहारी होने के नाते हमें गर्व है अपने राज्य पर।यहाँ की संस्कृति पर. यहाँ के अतीत पर.आज देश क्या दुनिया के किसी भी छेत्र में आप चले जाएँ वहां एक बिहारी मिल जायेंगे. चाहे वह किसी देश का राष्ट्रपति हो या एक राज मिस्त्री.

बिहार निर्माता सर अली इमाम

खुर्रम मलिक

पहले बिहार बंगाल का ही हिस्सा था।1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ उस समय बिहार बंगाल उड़ीसा सब एक ही थे। उस समय कुछ लोगों ने बिहार को अलग राज्य बनाने की क़वायद शुरू कर दी. और 22 मार्च 1912 को बिहार वजूद में आया।

बिहार

बिहार के राजनीतिक इतिहास को समझने के लिए मॉडर्न बिहार के जनक और नायाब बिहारियों की जीवनी ज़रूर पढ़नी चाहिए। जिनमें मुख्य भूमिका निभाने वाले लोगों में बिहार को बंगाल से अलग कर के एक राज्य की शक्ल देने वाले.पटना यूनवर्सिटी की बुनियाद रखने वाले. लीग ऑफ नेशन में भारत की तरफ़ से नुमाइंदगी करने वाले सर अली इमाम का नाम आता है. इसी कड़ी में दूसरा नाम है  बैरिस्टर यूनुस”  और फिर संविधान सभा के पहले अध्यक्ष जनाब” डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा भी उन लोगों में से हैं जिन्होंने बिहार को स्वतंत्र पहचान दिलाई.असर

फिहरिस्त लम्बी है. इनमें  भारत के पहले राषट्रपति जनाब “राजेंद्रा परसाद”,शाद अज़ीमाबादी”  मशहूर शायर “कलीम आजिज़” ,चमपरण सत्याग्रह के दौरान गांधी जी को अपना मेहमान बनाने वाले मौलाना “मज़हर उल हक़”. इन सबकी अपनी अपनी भूमिका रही है.

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पटना यूनवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जनाब के के दत्ता साहब लिखते हैं के इस तहरीक की शुरुआत सबसे पहले मुसलमानों ने ही की थी। और उनका साथ दिया था कायस्थ समाज के लोगों ने।और उन मुसलमानों में अगर सबसे अहम किसी का योगदान रहा तो वह थे सर अली इमाम साहब का।

मॉडर्न बिहार के जनक सर अली इमाम

आज जिस मॉडर्न बिहार का हम नाम लेते हैं इसका सेहरा सर आलिम इमाम को ही जाता है।इनके अनथक प्रयास का ही नतीजा था के आज हमारा भी अपना एक राज्य है,जहाँ हम अपने हिसाब से रहते हैं,पढ़ते हैं,जीवन यापन करते हैं।

कौन थे सर अली इमाम

पटना ज़िला के नेयोरा गांव जहां आज मौलाना आज़ाद कॉलेज क़ायम है, वहां 11 फ़रवरी 1869 को नवाब सय्यद इमदाद इमाम के घर पैदा हुए। 1887 में मैट्रिक में टॉप किया और फिर पटना कॉलेज पढ़ने आ गए।लेकिन कुछ महीने बाद उसी साल इंग्लैंड चले गए,और वहां से बैरिस्टरी की डिग्री ली,फिर भारत आ कर प्रैक्टिस शुरू कर दी।

अप्रैल 1908 को पहला बिहार प्रोवेंशियल कॉन्फ्रेंस ( बिहार राज्य सम्मेलन) सर अली इमाम की अध्यक्षता में पटना में हुआ। इसी प्रोग्राम में सर मुहम्मद फ़ख़रुद्दीन ने एक अलग राज्य “बिहार”की मांग करते हुए एक रेज़ोलयुशन पास किया जिसे हर ज़िले से आए हुए लोगों ने समर्थन दिया।

पटना के अनीसाबाद स्थित अली नगर कॉलोनी में एक लाल रंग की बड़ी शानदार सी इमारत है जिसे अली इमाम ने ही बनवाया था,और पटना का परिवहन भवन भी आपका ही बनवाया हुआ है।

इसके अलावा डॉक्टर सर सचिदानंद सिंहा, सर मुहम्मद फ़ख़रुद्दीन,शाह मुहम्मद ज़ुबैर, अनुग्रह नारायण सिंह,रॉय बहादुर कृष्शण  सहाय,सय्यद हसन इमाम, और ना जाने कितने ऐसे लोग हैं जिन्होंने ने बिहार को बनाने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।

तो मेरा सरकार से अनुरोध है के जिन महान बिहारियों ने बिहार के लिये अपना समय दिया,तन मन धन से इस राज्य की स्थापना में लगे रहे,उनकी याद में कोई स्कूल, कॉलेज,यूनिवर्सिटी,सड़क,चौराहा,गली, कुछ तो बनाएं, इस लिये के उनको ऐसी ही श्रद्धांजलि की आवश्यकता है।

 

 

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