Advantage Dialaogue के मेगा शोह में बालिउड के गीतकार मनोज मुनतशिर ( Manoj muntashir) ने कहा कि इस कार्यक्रम ने पूरी दुनिया में सुरखिया बंटोरी है. हम शुक्रगुजार हैं कि लाकडाउन में एडवांटेज ने मेरी आवाज को सात समंदर पार तक पहुंचा दिया.

मनोज मुंतशिर बालिउड के मशहूर गीतकार हैं.

मीडिया एक्सपर्ट डाॅ. रत्ना पुरकायस्थ से बातचीत में उन्होंने कहा कि मां का प्यार अन्य के प्यार से 9 महीने बड़ा होता है लोगों से मुखातिब होते ही कहा बिना इश्क ना तो जिन्दगी घुमती है और ना ही कविता की रचना की जा सकती है.

बाॅलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर ने कहा है कि जिसने अपने वतन, उसकी मिट्टी तथा अपने माता-पिता की इज्जत की, खुदा उसके साथ हमेशा रहता है। मां का प्यार अन्य के प्यार से 9 महीने बड़ा होता है। जो अपने बच्चों की हिफाजत बड़ी शिद्दत से करती है।

लोगों से मुखातिब होते ही उन्होंने पहले इष्क पर बातें की। उन्होंने कहा कि बिहार के ही महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने कहा है पृथ्वी धुरी पर घूमती है और मैं कह रहा हूं कि जिन्दगी भी धुरी पर घूमती है और वह धुरी है इश्क। अभी लाॅकडाउन के दौरान व अपनी किताब ‘मेरी फितरत है मस्ताना’ पार्ट-2 लिख रहे हैं।

नज्म सुनाई मुंतिशिर ने

जिसके चंद लाइनें इस प्रकार हैं:- ‘‘मेरा प्यार तुम आज ठुकरा रही हो / मगर तुम मझे यूं भुला न सकोगी/ मेरा जिक्र कोई अगर छेड़ देगा, तो आंखो का पानी छुपा न सकोगी/ अभी हाथ हाथों से छुटे नहीं हैं, अभी रोक लो तो ठहर जाउंगा मैं/ कहां तलाशोगी फिर कहां फिर मिलुूंगा/ अगर वक्त बनकर गुजर जाउंगा मैं। मेरे बिना तुम हो कितनी अकेली/ बताना भी चाहो बता न सकोगी/ मेरा प्यार तुम आज ठुकरा रही हो, मगर तुम मझे यूं भुला न सकोगी/ संवारोगी खुद को बड़ी कोशिशों से, मगर इश्क का क्या करोगी, ये पागल सा लड़का जहां याद आया/ वहीं बेवजह रो पड़ोगी/

मैं तुझसे प्यार नही करता/ पर कोई ऐसी षाम नहीं जब मैं आवारा सड़कों पर तेरा इंतजार नहीं करता/ मैं तुझसे प्यार नही करता, पर षहर मे जिस दिन तु न हो ये षहर पराया लगता है/ हर फुल लगे बेगाना सा, हर सजर पराया लगता है/

उत्तर प्रदेश के अमेठी के गौरीगंज के रहने वाले मुंतशिर ने कहा कि छोटे शहर के रहने वाले में टैलेंट अधिक होती है। 17 साल की उम्र में उन्होंने पहला मुशायरा किया जिसमें उस जमाने के बड़े-बड़े शायर आये थे। इलाहाबाद जाने के क्रम में रेलगाड़ी प्रतापगढ़ स्टेशन पर खराब हो गई। पाॅकेट में 18 रूपये थें। रेलवे स्टेशन पर शाहिर लुधियानवी की लिखी किताब ‘शाहिर लुधियानवी की तल्खिया’ खरीदी और इलाहाबाद पहुंचने तक पूरी किताब पढ़ डाली और मन में सोचा कि मूझे अब मुम्बई चलना चाहिए क्योंकि मुझमे मुम्बई जाने की योग्यता हो गयी है। मुनतशिर शाहिर लुधियानवी से काफी प्रभावित हैं.

उन्होंने कहा कि बिहारी मिट्टी बड़े-बड़े लोगों को तैयार कर चुकी है। मां जानकी, कौटिल्य, आर्यभट्ट जैसे इनकी संतान हुए हैं। यह एक अनमैच्ड (जिसका जोड़ा नहीं) राज्य है। बिहार की शान दुनिया तक पहुंच चुकी है, आपलोग खुद ही इस राज्य को और आगे बढ़ा सकते हैं।

मनोज मुनतशिर ने इस अवसर पर एडवांटेज ग्रूप के चेयरमैन खुर्शीद अहमद की दिल खोल कर तारीफ की और कहा कि खुर्शीद भाई एक बड़े दिल के इंसान हैं. उनकी बदौलत मुझे दुनिया में काफी इज्जत मिली. मुनतशिर ने कहा कि खुर्शीद भाई के प्यार और उनकी इज्जत अफजाई ने हमें बिहार के लोगों के करीब किया है. मैं खुर्शीद भाई का दिल की गहराइयों से शुक्रिया अदा करता हूं. उन्होंने कहा कि आज एडवांटेज डायलाग के जरिये लोग हमें पूरे भारत के साथ सात समंदर पार देख और सुन रहे हैं. इसका पूरा श्रेय खुर्शीद भाई को जाता है.

खुर्शीद अहमद

21 मई को डिजिटल प्लेटफार्म जूम पर एडवांटेज डायलाॅग के मेगा शो के 18वें एपिसोड में बोलते हुए मनोज मुंतशिर ने मीडिया एक्सपर्ट डाॅ. रत्ना पुरकायस्थ से बातचीत में अपनी अनेक नज्में सुनाईं.

इस अवसर पर एडवांटेज ग्रूप के चेयरमैन खुर्शीद अहमद ने एडवांटेज डायलाग के शानदार 18 एपिसोड पूरे होने पर अपने 20 लाख श्रोताओं/दर्शकों, प्रायोजकों, मीडिया पार्टनर्स और अपनी टीम के लोगों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि इन तमाम एपिसोड्स को करीब 20 लाख लोगों ने अलग अलग डिजिटल माध्यमों से देखा, सुना और पढ़ा.

खुर्शीद अहमद ने इस अवसर पर दिलचस्प जानकारी भी दी कि आगामी 30 मई को एडवांटेज की और से ई-मुशायरे का आयोजन हो रहा है. इसमें मुन्व्वर राणा, अमेरिकी शायर फरहत शहजाद समेत अनेक नामचीन शायर अपनी न्जमें पेश करेंगे.

By Editor