Mayawati के बाद Akhilesh ने भी पकड़ी अलग राह, पहुंचे हैदराबाद

बसपा प्रमुख मायावती ने घोषणा कर दी है कि वे किसी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। अब सपा प्रमुख हैदराबाद में केसीआर के मंच पर पहुंचे। यूपी में क्या होगा?

2024 लोकसभा चुनाव में गैर भाजपा सारे दल मोर्चा बना कर चुनाव लड़ेंगे, ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी। केसीआर, ममता बनर्जी, मायावती और अरविंद केजरीवाल के बारे में लगभग तय था कि वे भाजपा के खिलाफ किसी बड़े गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगे। इन दलों को कांग्रेस के साथ जाने में कठनाई थी, यह सभी जानते थे, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बारे में निश्चित कुछ नहीं कहा जा सकता था। माना जा रहा था कि वे भाजपा को हराने के लिए किसी व्यापक मोर्चा के साथ जा सकते हैं। अब उन्होंने भी साफ कर दिया है कि वे किसी ऐसे व्यापक मोर्चा के पक्ष में नहीं हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल और केरल के मार्क्सवादी मुख्यमंत्री पिनराई विजयन हैदराबाद में केसीआर के साथ एक मंच पर दिखे। केसीआर पहले से कांग्रेस के खिलाफ मुखर रहे हैं। अब उनके साथ अखिलेश यादव के जाने से स्पष्ट है कि यूपी में भाजपा के समक्ष तीन दल या मोर्चा होंगे। हर सीट पर भाजपा के सामने तीन विपक्षी दल होंगे। एक माायावती के, एक सपा-रालोद के तथा एक कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। जाहिर है इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। भाजपा को नुकसान तभी हो सकता है, जब मतदाताओं में भाजपा के पक्ष और विपक्ष में जबरदस्त ध्रुवीकरण हो जाए। हर सीट पर दो ही प्रत्याशियों के बीच मुकाबला हो। इस स्थिति में मायावती का वोट प्रतिशत एक बार फिर घटेगा। कांग्रेस पहले से कमजोर है। तब मुकाबला सपा-रालोद और भाजपा में होगा।

अरविंद केजरीवाल के बारे में भी पहले से माना जा रहा था कि वे कांग्रेस के खिलाफ होंगे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भाजपा और कांग्रेस में कोई फर्क नहीं है। आखिर कांग्रेस से क्षेत्रीय दल क्यों बिदक रहे हैं? इसका उत्तर एक तो यह हो सकता है कि क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के उभरने से नुकसान का खतरा है। भाजपा के बढ़ने से खतरा नहीं है। वहीं कांग्रेस ने जिस तरह संघ और भाजपा के खिलाफ मुहिम तेज कर दी है, उससे क्षेत्रीय दलों में चिंता है।

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By Editor