मेधा अंक पोर्टल पर जमा करने का आदेश वापस ले सरकार : गगन

राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार की मंशा परेशान करनेवाली है। मेधा अंक और मेधा क्रमांक की मांग बिल्कुल गलत है।

राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ जांच के नाम पर ड्रामा कर रही है। नियोजित शिक्षकों से मेधासूची की मांग पर आपत्ति के बाद मेधा सूची को अनिवार्यता से हटाकर मेधा अंक (वेटेज) और मेधा क्रमांक को अनिवार्य कर दिया गया है जो की नियोजित शिक्षकों के साथ घोर अन्याय है।

मेधा अंक और मेधा क्रमांक नियोजन ईकाई पास रहता है। माननीय उच्च न्यायालय पटना के निर्देश के आलोक में विगत 4 वर्षों से पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थानों के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की निगरानी जांच की जा रही है।

शिक्षक अपना शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्र शिक्षा विभाग में जमा कर चुके हैं, परंतु प्राथमिक शिक्षा निदेशालय पटना के द्वारा राज्य के करीब 90 हजार शिक्षकों को अपना शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्र, मेधा अंक ( वेटेज) और मेधा क्रमांक निगरानी विभाग के वेब पोर्टल पर अपलोड करने को कहा गया है। साथ ही जो शिक्षक वांछित प्रमाणपत्र, मेधा अंक और क्रमांक जमा नहीं करेंगे उन्हें नौकरी से हटा दिया जाएगा।

शिक्षकों के पास सिर्फ शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्र तथा नियोजन पत्र ही उपलब्ध है। मेधा अंक व क्रमांक के साथ ही नियुक्ति संबंधी अन्य अभिलेख नियोजन इकाई और शिक्षा विभाग के पास ही रहता है। ऐसी स्थिति में कोई शिक्षक मेधा अंक, मेधा क्रमांक एवं अन्य अभिलेख निगरानी के वेब पोर्टल पर कैसे अपलोड कर सकेगा?

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विभाग द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित सभी अभिलेखों को सुरक्षित रखने का दायित्व नियोजन इकाई का है। फिर शिक्षकों से नियोजन संबंधी अभिलेखों की मांग कर विभाग शिक्षकों को प्रताड़ित कर रही है। विभाग का यह रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है तथा शिक्षकों को परेशान करने की बड़ी साजिश है। सरकार मेधा अंक व क्रमांक एवं अन्य अभिलेख निगरानी के वेब पोर्टल पर जमा करने का विभागीय आदेश वापस ले।

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इतना ही नहीं जिन शिक्षकों ने निगरानी जांच के लिए अपना शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्र विभाग में जमा किया है उन्हें भी अप्राप्त के श्रेणी में रखा गया है। निगरानी विभाग में इतनी बड़ी संख्या में प्रमाण पत्र एवं मेधा अंक जमा नहीं होना विभाग की घोर लापरवाही है।

By Editor