MJ Akbar ने उस रोज अपने केबिन में बुलाया, मुझे दबोच लिया और फिर…

MJ Akbar ने उस रोज अपने केबिन में बुलाया, मुझे दबोच लिया और फिर…

पत्रकार गजाला वहाब ने अपनी आपबीती में यौन उत्पीड़न की यहा दास्तान लिखी है. द वॉयर  में लिखे अपने लेख में गजाला ने इस बात का उल्लेख किया है।

उन्होंने लिखा है कि यह घटना 1997 की है. मैं पत्रकार बनने का सपना लिये एशियन एज के दिल्ली दफ्तर में ज्वाइन किया था. आरंभ के कुछ महीनों में ही मुझे अकबर के बारे में कई किस्सों का इल्म हो चुका था. कुछ लोग उनके केबिन को अकबर का हरम कहके पुकारते थे.  इसलिए मेैं अक्सर डरी रहती थी. लेकिन मैंने देखा कि अकब मुझे अकसर केबिन में बुला लेते थे. केबिन का दरवाजा बंद होता था. वह मुझसे घंटों बात करते थे. इन बातों में पत्रकारिता का उल्लेख कम और मेरे निजी मामलों पर ज्यादा फोकस होता था. एक बार उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया। केबिन का दरवाजा बंद कर दिया. और मुझे दबोच कर दरवाजे से टिका दिया. फिर अपना एक हाथ मेरी छाती पर रख दिया. इतना ही नहीं अपना दूसरा हाथ मेरे होटों पर ले गये. मैं बुरी तरह डरी थी और असहाय थी. मुझमें इतनी ताकत नहीं थी कि मैं उन्हें झकझोड़ के हटा पाती. कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपने चंगुल से आजाद किया. मैं वहां से दौड़ी हुई भागी.

उस रात मैं सो नहीं सकी. मैं नौकरी छोड़ने के बारे में सोचती रही. पूरी रात रोती रही. लेकिन मेरी मजबूरी थी कि दूसरे आप्शन के बिना नौकरी नहीं छोड़ सकती थी. ये बात मैं अपने घर वालों को भी नहीं बता सकती थी क्योंकि मैंने घर से बगावत करके नौकरी की थी. मैं बड़ा पत्कार बनना चाहती थी. अपनी पहचान बनाना चाहती थी. मेरे घर की महिलायें पढ़ी तो थी लेकिन मैं पहली औरत थी जिसने नौकरी की थी. मैं रात भर यही सब सोचती रही कि क्या करूं. इसी तरह मैं दूसरे दिन आफिस गयी. थोड़ी देर बाद अकबर ने मुझे अपने केबिन में फिर बुलाया. मुझे लगा कि अकबर गुजरे दिन की घटना पर अफसोस जतायेंगे. मैं केबिन में दाखिल हुई तो उन्होंने दरवाजा फिर बंद कर लिया. और फिर मुझे दबोच लिया. वह उपने मुंह को मेरे होटों तक लाने के लिए झुके. मेरा शरीर एक तरफ से दरवाजे पर टिका था दूसरी तरफ से अकबर ने अपने कब्जे में मुझे ले रखा था. मैं बेबस थी. कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपने कब्जे से आजाद किया. मैं वहां से दौड़ते हुए और रोते हुए बाहर भागी.

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एमजे अकबर केंद्र सरकार में विदेश राज्यमंत्री हैं. इससे पहले वह टेलिग्राफ, एशियन एज जैसे बड़े अखबारों के सम्पादक रह चुके हैं. यह घटना एशियन एज में काम करते हुए गजाला वहाब ने फेस किया है. वायर ने इस संबंध में अकबर का पक जानना चाहा है. लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.

गजाला ने अपने लम्बे लेख में इस तरह की अनेक घटनाओं का उल्लेख किया है. उनके साथ इस तरह कई बार किया गया. लेकिन उन्होंने लिखा है कि मैं चाह कर भी इस स्थिति से उबर नहीं पा रही थी क्योंकि मेरे सामने दूसरे जॉबका विकल्प नहीं था.

द वॉयर पर पुरा लेख आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं.

 

By Editor