मोदी सरकार के भारी भरकम पैकेज की ऐसे निकली हवा

कभी-कभी ऐसा होता है कि अखबार के पहले पन्ने की सबसे बड़ी खबर सबसे कम पढ़ी जाती है। आज ऐसा ही हुआ। मोदी सरकार के पैकेज को कितने लोगों ने पढ़ा?

कुमार अनिल

कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मे 6.29 लाख करोड़ का पैकेज दिया। यह बहुत बड़ी रकम है। अखबारों के पहले पन्ने की सबसे बड़ी खबर बनी, पर कितने लोगों ने इस खबर को पढ़ा। अगर किसा ने खबर पढ़ी, तो उसे भी याद नहीं होगा कि इतनी बड़ी विशाल राशि किस बात में खर्च होगी।

मोदी सरकार के इस भारी-भरकम पैकेज पर सबसे सटीक टिप्पणी राहुल गांधी ने की। उन्होंने दो लाइन का टिव्ट किया-FM के ‘आर्थिक पैकेज’ को कोई परिवार अपने रहने-खाने-दवा-बच्चे की स्कूल फ़ीस पर ख़र्च नहीं कर सकता। पैकेज नहीं, एक और ढकोसला! राहुल की टिप्पणी में ही छिपा है, उस प्रश्न का उत्तर कि मोदी सरकार के पैकेजवाली खबर को क्यों लोगों ने नहीं पढ़ा।

थोड़ी देर बाद राहुल गांधी ने फिर ट्विट किया-पढ़े-लिखे नौजवानों के माता-पिता उन्हें रिक्शा खींचने या मज़दूरी करने या सड़क किनारे पकोड़े तलने पर मजबूर होता देख रहे हैं। भविष्य छीनकर मोदी सरकार ने उन्हें आत्मनिर्भर कर दिया।

कांग्रेस के सोशल मीडिया के प्रमुख गौरव पांधी ने कहा -कर्ज बिजनेसमैन और उद्योगपति लेते हैं। इससे वे सप्लाई चेन को विस्तारित करते हैं। लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था का संकट सप्लाई चेन का कमजोर पड़ना नहीं है, बल्कि मांग का न्यूनतम हो जाना है। इसीलिए इस गूंगी-बहरी सरकार को #BJPKaDhakoslaPackage कर्ज बांटने का काम बंद करना चाहिए। इसके बदले लोगों के हाथ में पैसा देना चाहिए। जब लोगों के हाथ में पैसा आएगा, तभी तो वे जरूरत की सामग्री खरीद पाएंगे। केवल इसी तरह लगभग ठहरी हुई अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकेगी।

और तो और खुद भाजपा नेता भी इस पैकेज का आम लोगों के लिए फायदा नहीं बता सके। भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा- इस पैकेज से बिहार के बौद्ध-जैन-सिख धर्मस्थलों पर आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बढेगी और इन केंद्रों पर बेरोजगारी के काले दिन दूर होंगे।

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सुशील मोदी ने जो फायदा बताया, उससे यही लगता है कि बिहार को रोग कुछ है और दवा कुछ दी जा रही है। क्या लाखों लोग जिनकी नौकरी छूट गई, रोजगार चौपट हो गया, उन्हें पर्यटकों के आने से नौकरी -रोजगार मिल जाएगा?

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By Editor