मुद्दाविहीन कुशवाहा, कई दिनों से तिलक, शादी, गृह प्रवेश में सक्रिय

तिलक, शादी, गृह प्रवेश, छठी में शामिल होना अच्छी बात है, पर जब लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम वक्त हो, तो सिर्फ इसी में सक्रियता से कैसे काम चलेगा?

लालू प्रसाद जातिगत जनगणना पर गरज रहे हैं, नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं, भाजपा बागेश्वर दरबार में है और जदयू से अलग हो कर नई पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा आजकल क्या कर रहे हैं? उनके ट्विटर हैंडल पर जाएं, तो रोचक जानकारी मिलती है। उनकी सक्रियता किस बात को लेकर है, इसका प्रमाण भी मिलता है। पिछले एक हफ्ते के उनके ट्वीट को देखें, तो उनमें तिलक, शादी, गृह प्रवेश, शादी के बाद रिसेप्शन में शामिल होने जैसी खबरों की भरमार है। एक समर्थक के निधन के बाद दुख की घड़ी में भी शामिल हुए। यह सब तो ठीक है, लेकिन जब लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम वक्त हो, तो सिर्फ इसी में सक्रियता से कैसे काम चलेगा?

भाजपा को पता है कि उसे लोकसभा चुनाव की तैयारी किस प्रकार करनी है। उसके मुद्दे भी स्पष्ट हैं। वह बाबा बागेश्वर की सरण में है। ललन सिंह के भोज में किस तरह का मांस खिलाया गया, इस पर उसके नेता आरोप लगा रहे हैं आदि-आदि। चुनाव नजदीक आने पर उसके लिए अयोध्या में राम मंदिर बड़ा मुद्दा होगा, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा का क्या मुद्दा होगा?

उपेंद्र कुशवाहा ने हाल के दिनों में कांग्रेस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। नीतीश कुमार पर एक ट्पिपणी है, जो ड्रोन के गायब होने पर है। क्या इसी तरह नीतीश कुमार की आलोचना होगी? पिछले दिनों कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल का राजगीर में चिंतन शिविर हुआ। उस चिंतन शिविर से क्या निकला, वह जमीन पर नहीं दिख रहा। बिहार के लिए कोई नया नारा, कोई नया अभियान, कोई कार्यक्रम नहीं दिख रहा। जबकि वे अलग पार्टी बनाने के बाद दिल्ली में भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल चुके हैं। अमित शाह के साथ मिलने का भी कोई नया असर नहीं दिख रहा है।

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