‘मुल्ले काटे जायेंगे..’ जैसे हिंसक नारे पर किसने क्या कहा

एक बार फिर दिल्ली में खुलेआम मुस्लिम विरोधी नारे लगे। इस तरह हिंसा भड़काने के नारे से देश का लोकतांत्रित समाज स्तब्ध है। देखिए किसने क्या कहा-

दिल्ली में एकबार फिर समुदाय विशेष के खिलाफ हिंसा भड़कानेवाले नारे लगे। लोकतांत्रित और धर्मनिरपेक्ष तबका सोशल मीडिया पर मुखर होकर विरोध कर रहा है। कई लोगों ने सेक्युलर पार्टियों के बड़े नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर कई हैशटैग चल रहे हैं। #ArrestAshwiniUpadhyay तथा #Protest_against_Hate । इसके साथ ही कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में भड़काऊ नारे लगाने के खिलाफ दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत की है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा-भाजपा के लोगों ने बिना इजाजत जंतर-मंतर पर जमा होकर कर सांप्रदायिक नारे और भाषण दिए। उन्होंने दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ऐसे लोगों को कड़ी सजा देकर ही ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने ट्वीट किया-जंतर-मंतर पर जिस रैली में मुस्लिम विरोधी नारे लगे, भाषण हुए, उस रैली को भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने आयोजित किया था। वीडियो वायरल है। क्या दिल्ली पुलिस उसे गिरफ्तार करेगी या वह कपिल मिश्रा की तरह इसकी भी अनदेखी कर देगी।

पत्रकार वीर संघवी ने कहा कि कल्पना कीजिए यह भड़काऊ भाषण मुसलमानों ने हिंदुओं के खिलाफ लगाए होते, तो क्या होता? पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने सांप्रदायिक घृणा के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध करने का आह्वान किया है। द वायर के पत्रकार सिद्धार्थ ने भी घटना का विरोध किया है।

रिटायर्ड आईपीएस विजय शंकर सिंह ने ट्वीट किया-जंतर मंतर के अपराधियों को क्या दिल्ली पुलिस ढूंढ पाएगी, जबकि जेएनयू हॉस्टल में घुस कर मारपीट करने वाली कोमल शर्मा को पहचाने जाने के बाद भी, पुलिस ने उसे अबतक नहीं पकड़ा है। जब CP दिल्ली खुद अपनी नियुक्ति को लेकर विवादों में हैं तो,क्या दिल्ली पुलिस से यह उम्मीद की जा सकती है?

उसने गांधी को क्यों मारा पुस्तक के लेखक अशोक कुमार पांडे ने ट्वीट किया- रोज़गार नहीं दे सकते, शिक्षा नहीं दे सकते, बीमार पड़ने पर इलाज़ नहीं से सकते..तो नफ़रत का नशा दे दो, धर्म और जाति का खोखला गौरव दे दो, उन्मादी नारे दे दो। दक्षिणपंथ इसी सिद्धांत पर काम करता है और अंतत: अपने साथ-साथ अपने पीछे चलने वाली इस पागल भीड़ को भी नष्ट कर देता है।

उन्होंने आगे कहा-भाषा का ज्ञान देने वाले विद्वतजनों से पूछा जाना चाहिए कि खुलेआम नरसंहार की धमकी देने वाले क्यों आतंकवादी नहीं हैं? कौन सी परिभाषा इन्हें आतंकवादी नहीं बताती है? आतंक नहीं मचा रहे ये तो और क्या कर रहे? कहीं राहुल जी इस शब्द को एक धर्म विशेष के लिए आरक्षित तो नहीं समझते? उन्होंने यह ट्वीट पत्रकार राहुल देव के जवाब में किया।

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