All India United Muslim Morchaऐसा पहली बार:Chief Justice को संदेश देने के लिए मुस्लिम मोर्चा करेगा प्रदर्शन

ऐसा पहली बार:Chief Justice को संदेश देने के लिए मुस्लिम मोर्चा करेगा प्रदर्शन

दलित मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा अगामी 14 अक्टूबर को भारत के Chief Justice रंजन गोगई के नाम संदेश देने हेतु मंडी हाउस में प्रदर्शन करेगा.

 

इस प्रदर्शन में सी० जे० आई० के सामने सवाल रखा जाएगा कि धारा 341 में सुधार से संबंधित मुकद्दमा जिसकी संख्या 180/2004 है उसे 15 वर्षों से ठंडे बस्ते में क्यों रख दिया गया है। अयोध्या समस्या के समाधान के साथ धारा 341 में सुधार के मसले को भी हल किया जाए।

chief Justice तक अपनी बात रखने का अनोखा तरीका        

इस अवसर पर मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमाल अशरफ ने कहा कि धारा 341 में सुधार कर दलित मुस्लिम को अनु०जा० में शामिल करने के सिलसिले में एक मुकद्दमा (PIL= 180/2004) सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। 2011 में इसकी इसकी “इशू फ्रेमिंग’ तो हो गई लेकिन अब तक ठंडे वस्ते में पड़ा हुआ है। 10 अगस्त 1950 में लगी बंदिश के चलते मुसलमानों की बड़ी आबादी अपनी मूलभूत अधिकारों से वंचित है और मुख्यधारा से कट कर अलग हो गई है। 70 सालों से हो रहा,इस नाइंसाफी को खत्म होना चाहिए।

 

मोर्चा ने की प्रेस कांफ्रेंस

 

मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाफिज गुलाम सरवर ने कहा कि अयोध्या विवाद तो 2010 में सुप्रीम कोर्ट पहुँचा जबकि दलित मुस्लिम आरक्षण का मामला तो 15 साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पहूँच चुका था। ये दोनो मामला 1949-50 का है और दोनो ही बड़ी आबादी की जन- भावनाओं से जुड़ा हुआ है, अंतर केवल इतना है कि दलित मुस्लिम आरक्षण का मामला कमजोर वर्गो के पेट, पढ़ाई और पिटाई से जुड़ा हुआ है जबकि अयोध्या का मामला सामंतवादी टकराव का प्रतीक है। उन्होनें कहा कि कहीं इसी कारण दलित मुस्लिम इशू उपेक्षा का शिकार तो नहीं है वरन् 15 वर्षों में तो इस पर फैसला हो जाना चाहिए था।

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मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव मो० रियाजुद्दीन ने कहा कि दलित मुस्लिमों को अधिकार अब नही मिलेगा तो कब मिलेगा। अब तक विभिन्न वर्गो को आरक्षण तो मिल ही चुका है। प्रधानमंत्री वी०पी० सिंह ने पिछड़े वर्गो को 1990 में आरक्षण दिया और 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने गरीब सवर्णो को 10 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है। जबकि दलित मुसलमानों को इन से पहले ये अधिकार मिल जाना चाहिए था क्योंकि 1950 में पंडित नेहरू जी के द्वारा इनका आरक्षण छीन लिया गया था।

मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा० अंसारी ने कहा कि सवर्णो, पिछड़ो या आदिवासियों के लिए प्रदत् आरक्षण में किसी तरह का धार्मिक प्रतिबंध नहीं है सिर्फ अनु०जा० आरक्षण में ही बंदिश लगी हुई है और वह भी केवल मुसलमानों और इसाईयों के खिलाफ है। इस पर माननीय जस्टिस गोगई जी को गम्भीरता से विचार करना चाहिए।

 

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मोर्चा के संयुक्त सचिव मौलाना मुतुर्जा अलहुसैनी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री जब धारा 370 में सुधार कर 1.5 करोड़ कश्मीरियों को देश के मुख्यधारा में लाने की पहल कर सकते है तो भारत के मुख्यन्यायधीश धारा 341 में सुधार कर क्या 14 करोड़ दलित मुस्लिम आबादी को भी देश के मुख्यधारा में लाने की पहल नही कर सकते ? उन्होनें कहा कि जिसतरह प्रधानमंत्री का 370 के नाम पर पूरे देश में डंका बज रहा है उसी तरह से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का भी 341 के नाम पर डंका बजेगा अगर वह अयोध्या के साथ धारा 341 में सुधार का फैसला भी साथ में ले आते है।

प्रेस कांफ्रेंस में डॉ० शमसाद आलम, जहागीर और आजम भी मौजूद थे।

By Editor