मुस्लिमों की प्रजनन दर में सबसे अधिक गिरावट

ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में मुस्लिमों की प्रजनन दर में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। उधर, नफरती गैंग आज भी मुस्लिमों की बढ़ी संख्या का खतरा बता रहा।

देश में मुस्लिमों की प्रजनन दर में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। प्रजनन दर में कमी 47 फीसदी है। यह खुलासा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पांचवें चरण की रिपोर्ट से हुआ है। पिछले दो दशकों में मुस्लिमों की प्रजनन दर देश के किसी भी धार्मिक समुदाय से बहुत ज्यादा घटी है। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित NFHS के आंकड़े यही बताते हैं। मुसलमानों में प्रजनन दर NFHS-1 और NFHS-5 के बीच 47 प्रतिशत कम हुई है। 1992-93 में प्रजनन दर 4.4 थी, जो 2019-21 में काफी घट कर 2.3 रह गई है।

उधर, नफरती गैंग इन आंकड़ों से नजरें चुराते हुए आज भी मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि को खतरनाक बताने में दिन-रात लगा है। वे ऐसा जनबूझकर करते हैं, ताकि महंगाई और बेरोजगारी पर लोगों का ध्यान न जाए। आपके इर्द-गिर्द कोई नफरती हो, तो उसे भारत सरकार के इस आंकड़े की जानकारी जरूर दें। यह उम्मीद किए बिना कि वह धार्मिक नफरत फैलाना बंद कर देगा, लेकिन कम से कम भोले-भाले लोग उनके भ्रमजाल से निकल कर अपनी रोजी-रोटी की चिंता करेंगे। इसी चिंता से देश का भवा होगा और परेशान नागरिक का भी।

हिंदुओं में 1992-93 में प्रजनन दर 3.3 थी, जो ताजा सर्वे में घटकर 1.94 रह गई है। 2015-16 में हिंदुओंं की प्रजनन दर 2.1 थी। आंकड़े बताते हैं कि 1992-93 से मुसलमानों में प्रजनन दर 46.5 प्रतिशत घटी है, जबकि हिंदुओं में इसी दौर में 41.2 प्रतिशत घटी है।

ईसाइयों में प्रजनन दर 1.88 प्रतिशत है, जबकि सिखों में यह 1.61 प्रतिशत है। जैन की प्रजनन दर 1.6 प्रतिशत है। बौद्ध में प्रजनन दर 1.39 प्रतिशत है। देश की कुल प्रजनन दर घट कर 2 प्रतिशत रह गई है, जो 2015-16 में 2.2 थी। 2.1 प्रजनन दर को जनसंख्या में स्थिरता का द्योतक माना जाता है।

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