बेहद अफसोसनाक करे कोई भरे कोई ये नन्हे मासूम बच्चे जिन्होंने कभी मक्खी मारने जैसा अपराध भी नहीं किया परंतु ये बच्चे जेल में रहने को मजबूर हैं। इन बच्चों की सज़ायाफ्ता माएँ जेल में बंद हैं।

 

परवेज आलम की रिपोर्ट, लखनऊ से

शिक्षा का अधिकार के तहत इन बच्चों का जेल के निकटतम विद्यालय में प्रवेश हुआ है। अपराध किये बगैर जेल में रहने को अभिशप्त इन मासूमों के लिए नई ड्रेस, स्कूल बैग और पानी की बॉटल की व्यवस्था इंसानियत के फरिश्तों ने निजी सहयोग से की है। इनके स्कूल जाने का आज पहला दिन है परंतु इनकी माएँ सी आफ करने के लिए मौजूद नहीं हैं, वे जेल की बैरक के अंदर बन्द हैं।

 

जेल स्टाफ और समाज सेविका मां का रोल अदा कर रहे हैं। आपको बताते चलें उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर जनपद जो पूरी दुनिया में गुड़ की मिठास के लिए जाना जाता है यहां पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव तिवारी ने अपनी कार्यशैली के बूते जनपद वासियों के दिल में गहरी छाप छोड़ी है। इनका एक अनूठा कार्य जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ है। मुजफ्फरनगर की जिला जेल में बंद महिला कैदियों के बच्चे को उन्होंने तालीम देने का बीड़ा उठाया है। जनपद मुजफ्फरनगर के जिला जेल में दहेज उत्पीड़न जैसे अपराध में बन्द महिलाओं के छोटे बच्चे भी उनके साथ रहते हैं जोकि तालीम से महरूम हो रहे थे।

 

अनंत देव तिवारी के सामने जेल सुपरिटेंडेंट अरुण कुमार सक्सेना ने इन बच्चों को तालीम देने के लिए एक प्रस्ताव बनाकर दिया। इस प्रस्ताव पर अमल करते हुए ऐसे चारों बच्चों का एडमिशन पुलिस लाइन स्थित मॉडर्न पब्लिक स्कूल में करा दिया गया है। इस नेक काम में जनपद में NGO चलाने वाली स्वयंसेविका लूथरा मैडम ने सराहनीय योगदान दिया है। उन्होंने बच्चों को स्कूल में भेजने के लिए आवश्यक सामग्री की व्यवस्था उपलब्ध कराया है। इस प्रकार मुजफ्फरनगर के एसएसपी अनंत देव तिवारी, जेल अधीक्षक अरुण कुमार सक्सेना के इस नेक काम की चर्चा हर तरफ हो रही है।

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