लाकडाउन में गैरकानूनी तौर पर पास जारी करने के मामले में नवादा के एसडीओ का निलंबन वापस ले लिया गया है लेकिन सुरक्षाकर्मी व ड्राइवर अपने बेबसी की सजा अभ भी भुगत रहे हैं.

मुकेश कुमार

अप्रैल में अनुमंडल दंडाधिकारी नवादा सदर अनु कुमार को “गंभीर लापरवाही” के आधार पर निलंबित करने वाली बिहार सरकार ने उन्हें निलंबन मुक्त कर दिया और सामान्य प्रशासन विभाग में योगदान का निर्देश दिया है. इसके पीछे (बिहार प्रशासनिक सेवा संघ) बासा की दवाब की भूमिका को देखा जा रहा है. उक्त अधिकारी के निलंबन से नाराज बासा ने आंदोलन की बात कही थी.

इसके साथ ही बासा ने नवादा जिलाधिकारी से मौखिक आदेश नहीं मानने का निर्णय लिया था. बिहार सरकार ने अप्रैल में बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, अनुमंडल दंडाधिकारी नवादा सदर अनु कुमार को निलंबित कर दिया था. इनका निलंबन नवादा के जिलाधिकारी के रिपोर्ट के आधार पर की गई थी. रिपोर्ट के अनुसार बताया गया था कि ‘अनुमंडल दंडाधिकारी ने पास निर्गत करने से पहले आवेदन की पूरी तरह से छानबीन नहीं की और अन्तर्राज्यीय पार निर्गत कर दिया.

जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में अनुमंडल दंडाधिकारी को गंभीर लापरवाही का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी. हालाँकि अनु कुमार को निलंबन मुक्त करने के पीछे कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अधिकारीयों की कमी होने की बात कही गई है. सरकार ने जारी पत्र में कहा है कि ‘समीक्षा में पाया गया है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए राज्य में क्षेत्रीय अधिकारीयों की आवश्यकता है’.

इस संवर्ग के अधिकारियों की कमी भी है. इसी के आलोक में अनु कुमार को निलंबन मुक्त किया गया है यधपि उनके विरुद्ध आरोप की विभागीय जांच चलती रहेगी. बिहार के राजनितिक गलियारें में एक विवाद और प्रशासनिक महकमें में निलंबनों की एक श्रृंखला शुरू हो गई थी जब भारतीय जनता पार्टी के हिसुआ विधायक और विधानसभा में अपने पार्टी के सचेतक अनिल सिंह द्वारा अपने पुत्र को कोरोना लॉकडाउन के दौरान कोटा राजस्थान से बिहार लेकर आए थे. पहले विधायक को ई-पास निर्गत करनेवाले नवादा सदर अनुमंडल अधिकारी अनु कुमार, फिर विधायक के वाहनचालक शिवमंगल चौधरी और फिर विधायक के सुरक्षाकर्मियों शशि कुमार और राकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया था.

विधानसभा अध्यक्ष ने संज्ञान लेते हुए विधायक के परिचालक शिवमंगल चौधरी से स्पष्टीकरण माँगा था, परन्तु इसके स्पष्टीकरण से असंतुष्ट होकर निलबंन का आदेश जारी कर दिया गया.

नियमानुसार, वाहनचालक को राज्य से बाहर जाने के पहले विधानसभा सचिवालय से अनुमति लेनी पड़ती है परंतु शिवमंगल चौधरी कोटा जाने के पहले अनुमति नहीं ली और यही निलंबन का आधार बना. विधायक अनिल सिंह की सुरक्षा में तैनात दोनों सुरक्षाकर्मियों को पुलिस विभाग द्वारा निलंबित कर दिया गया था. नवादा के एसपी द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया था परंतु इसका उचित जवाब नहीं देने के कारण दोनों अंगरक्षकों शशि कुमार और राजेश कुमार को एसपी द्वारा निलंबित कर दिया गया है. इनके निलंबन का आधार बना कि सुरक्षाकर्मी बिना किसी सक्षम प्राधिकार से अनुमति लिए विधायक के साथ कोटा गए थे.

अब सवाल यह उठता है कि विधायक के वाहनचालक शिवमंगल चौधरी और उनके सुरक्षाकर्मी शशि कुमार और राजेश कुमार का निलंबन वापिस होगा? जिस तरह बासा अपने संघटन का प्रयोग करके अनु कुमार के निलंबन को वापिस कर पाने में सक्षम हुई क्या उसी प्रकार पुलिस संघटन इकाई ऐसा करेगी? क्या ऐसा कोई संघटन वाहन चालकों हेतु भी अस्तित्व में है? प्रश्न यह उठता है कि क्या वाहनचालक और सुरक्षाकर्मी अपनी मर्जी से विधायक के साथ कोटा गए थे? क्या मातहत कर्मचारी की इतनी कूबत थी कि विधायक को नियमों का हवाला देकर जाने से इंकार कर सकते थे? बिहार सरकार एकतरफ तो विधायक अनिल सिंह पर तो गठबंधन धर्म का निर्वाह की मज़बूरी में हाथ डालने से हिचकती है और दूसरी तरफ वाहनचालक और सुरक्षार्मियों को बलि का बकरा बनाती है. काश, इनका भी कोई संगठन इनके साथ खड़ा होता !

(लेखक पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में मीडिया के पीएचडी स्कॉलर हैं. यह लेखक के निजी विचार हैं

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