केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज वित्तीय क्षेत्र में धोखाधड़ी को रोकने के लिए 19 सितम्बर 2017 को हुई बैठक में लिए गए निर्णयों की प्रगति की समीक्षा के लिए बैठक की अध्यक्षता की. इसमें राज्यों और विभिन्न ऐजेंसियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

नौकरशाही डेस्‍क

बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री को बताया गया कि उनकी अध्यक्षता में 19 सितम्बर 2017 को हुई बैठक में जो निर्णय लिये गये थे, उसके परिप्रेक्ष्य में गृह मंत्रालय में 28 सितम्बर 2017 को फोन धोखाधड़ी पर अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया गया. इस समिति में गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, वित्तीय सेवाऐं विभाग, दूर संचार विभाग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और काऩून व्यवस्था से जुड़ी ऐजेंसियों जैसे साझेदारों के प्रतिनिधियों को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है. इस समिति की पहली बैठक 24 अक्टूबर 2017 को हुई जिसमें भारत में फोन से जुड़ी धोखाधड़ी की प्रकृति और इससे निबटने के लिए विभिन्न साझेदार संगठनों द्वारा उठाये गए कदमों के बारे में चर्चा हुई.

 केन्द्रीय गृहमंत्री ने निम्न अपेक्षित उपायों की समीक्षा की-

  • फोन के जरिये धोखाधड़ी करने वालों को चिन्हित करने के लिए आईआईटी दिल्ली की मदद से व्यापक डाटा विश्लेषण करना ताकि ई-वॉलेट के प्रतिरूप को बनाने से रोका जा सके.
  • बैंक ग्राहकों को एसएमएस और ई-मेल अलर्ट के जरिये अतिरिक्त जानकारी प्रदान करना. किसी भी वित्तीय लेन देन में आवश्यकता अनुसार लाभार्थी का नाम शामिल करना और इसके बारे में ग्राहक को अलर्ट भेजने का तंत्र विकसित करना ताकि धोखाधड़ी की स्थिति में आसानी से जांच की जा सके.
  • ई-वॉलेट कंपनी और बैंकों के ग्राहकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी से जुड़ी घटनाओं और जांच का विवरण प्रकाशित करना ताकि ई-वॉलेट सेवा का उपयोग करने से पहले ग्राहक भलिभांति जागरुक हों.
  • मेटाडॉटा तैयार करने के काऩूनी पक्ष और विभिन्न सरकारों और निजी ऐजंसियों के बीच सूचनाओं का आदान प्रदान.
  • बीमा लागत में कमी, प्रीपेड भुगतान विकल्प प्रदान करने वालों के लिए अनिवार्य केवाईसी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिये देश से बाहर लेन देन को प्रतिबंधित करना.

 

 

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