9 महीने से  केंद्र सरकार द्वारा अपनी मांगें अनसुनी होता देख नीतीश कुमार अब सीधे  पीएम मोदी के साथ दो-दो हाथ करने की रणनीति पर चल पड़ें हैं. उन्होंने बुधवार को पीएम से मिल कर दो टूक कह डाला है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा पूरा करें.

(फाइल फोटो)

नौकरशाही मीडिया, एडिटोरियल डेस्क

इतना ही नहीं नीतीश ने नयी दिल्ली में मोदी से यह भी मांग की कि पटना युनिवर्सिटी को केंद्रीय युनिवर्सिटी का दर्जा भी दें. मोदी से इस मुलाकात की खबर अनेक न्यूज साइट पर दी गयी है.

याद रखने की बात है कि पिछले दिनों पटना युनिवर्सिटी शताब्दी समारोह में मोदी के सामने नीतीश ने केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के लिए ब़ड़ी विनम्रता से निवेदन करते हुए कहा था कि ‘मैं दोनों हाथ जोड़ कर प्रधानमंत्री जी से मांग करता हूं कि वह इस मांग को पूरी कर दें’. लेकिन मोदी न उसी समारोह में टका सा जवाब देते हुए कहा था कि पीयू को आगे बढने के लिए देश के विश्वविद्यालयों से प्रतस्पर्धा करना होगा. मोदी के इस बयान के बाद नीतीश अवाक रह गये थे और फिर चर्चा का बाजार गर्म हो गया था कि नीतीश के आग्रह को मोदी ने ठुकरा दिया.

 

विश्लेषकों का मानना है कि  लालू के साथ गठनबंधन तोड़ कर भाजपा के साथ सरकार बना लेने के बाद  नीतीश को लगातार इग्नोर किया जाता रहा है. इतना ही नहीं पिछले दिनों रामनवमी के अवसर पर भाजपा नेताओं ने नीतीश कुमार को भारी चुनौती पेश की थी. यहां तक कि केंद्रीय मंत्री अश्वनि चौबे के बेटे ने बाजाब्ता प्रेस कांफ्रेंस करके सरकार द्वारा, उनके खिलाफ दायर एफआईआऱ को रद्दी का कागज कहके सरकार को ललकारा था. याद रहे कि अश्विनी चौबे के बेटे के खिलाफ दंगा भड़काने का आरोप है.

इस बीच विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने पर हमला करता रहा है. पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह डाला था कि नीतीश कुमार को आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रा बाबू नाइडू से सीखना चाहिए और उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए. याद दिला दें कि चंद्र बाबू नाइडू ने आंध्र को विशेष दर्जा नहीं देने के मामले को ले कर एनडीए सरकार से अलग होने की घोषणा की थी.

इस प्रकरण पर जदयू ने अपनी प्रतक्रिया में महज इतना कहा था कि जदयू बिहार को विशेष राज्य के दर्जा मामले पर अपने स्टैंड पर कायम है.  दर असल नीतीश कुमार पिछले 6-8 वर्षों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग उठाते रहे हैं. 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने वादा भी किया था कि केंद्र में उनकी सरकार बनते ही बिहार की यह मांग पूरी कर दी जायेगी. लेकिन चार साल तक सरकार चला लेने के बावजूद मोदी अपना वादा पूरा नही कर सके.

इधर नीतीश कुमार भी इस मामले पर वेट ऐंड वाच में रहे हैं. पर बुधवार को उन्होंने दिल्ली में पीएम के आवास जा कर मुलाकात की और साथ ही अपनी यह मांग दोहराई कि बिहार को विशेष दर्जा दिया जाये.

जिस विशेष राज्य के दर्जा की सियासत को आधार बना कर मोदी ने बिहार के वोटरों का भार वोट लिया था, अब नीतीश, संभव है कि इसी मदुद्दे को ले कर उनक खिलाफ जोरदार तरीक से अभियान छेड़ने की रणनीति अपना सकते हैं.

 

 

 

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