नीतीश ने कह दिया RJD-JDU का विलय नहीं, BJP क्यों परेशान

यह किसी पहेली से कम नहीं कि कोई नहीं चाहता कि उसके दो विरोधी एक हो जाएं। पर भाजपा चाहती है कि RJD-JDU का विलय हो। नीतीश की घोषणा से भाजपा परेशान।

यह साधारण समझदारी की बात है कि कोई नहीं चाहता कि उसके दो विरोधी एकजुट हो जाएं। हर चुनाव में भाजपा चाहती है कि उसके विरोधी बंटे रहें, तो उसे फायदा होगा। हाल में गुजरात में उसे फायदा मिल चुका है, लेकिन बिहार भाजपा क्यों चाहती है कि जदयू और राजद का विलय हो जाए। भाजपा सांसद सुशील मोदी परेशान हैं। उन्होंने दावा किया है कि दोनों दलों का विलय अवश्यंभावी है।

इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को पार्टी विधायक दल की बैठक में कह दिया कि राजद और जदयू में विलय नहीं होगा। सवाल यह भी है कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जानते हैं कि अगर जदयू का राजद में विलय हो जाए तो उनकी अपनी जाति कुर्मी राजद के साथ नहीं जाना चाहेगी। वह भाजपा में जा सकती है। इसी तरह अतिपिछड़े में कई समूह ऐसे हैं, जो राजद में विलय के बाद छिटक सकते हैं। राजद में विलय के बाद भी कुर्मी समुदाय तभी राजद के साथ जा सकता है, जब देश के विपक्षी दल 2024 लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का फेस घोषित कर दें, लेकिन इसकी संभावना नहीं के बराबर है। यही समझ कर नीतीश खुद भी कहते रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। नीतीश की विलय नहीं करने की घोषणा बिहार के जातीय समीकरण को देखते हुए सोच-समझ कर की गई है।

इधर भाजपा सांसद सुशील मोदी इस लिए दावे के साथ जदयू-राजद के विलय की बात दोहरा रहे हैं कि ऐसा हुआ, तो कुर्मी मतदाता को भाजपा के साथ लाना आसान होगा। अतिपिछड़े का बड़ा हिस्सा भी साथ आ जाएगा। इस तरह राजद और भाजपा के बीच आमने-सामने का मुकाबला होगा। भाजपा नहीं चाहती है कि चुनाव में नीतीश कुमार के रूप में कोई तीसरा धड़ा रहे।

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By Editor