केंद्र से टकराव मोल लेने के मूड में नीतीश, कहा केंद्र की प्राथमिकता वाली योजना बंद हो, मिले विशेष दर्जा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टूक शब्दों में पीएम मोदी से कह दिया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा रघुराम रमन समिति की सिफारिशों के अनुकूल दिया जाये साथ ही केंद्र की प्राथमिकता वाली योजनाओं को बंद कर बिहार को अपनी प्राथमिकता के अनुसार योजनाओं को लागू करने दिया जायेनये केंद्रांश नीति से हो रहा बिहार को भारी नुकसान

  • केंद्र की नीति से बिहार को हो रहा नुकसान

  • केंद्र के चलते बिहार की प्राथमिकता वाली योजना हो रही बाधित

  • केंद्र की प्राथमिकता वाली योजना हो बंद 

नीतीश कुमार ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में नीति आयोग की पांचवी बैठक में को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.

नीतीश कुमार ने साफ कहा कि केंद्र राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता तय करता है जबिक राज्यों की अपनी प्राथमिकता होती है. लिहाजा ऐसी योजनाओं को बंद किया जाये.

नीतीश कुमार ने कहा कि पिछले पांच सालों से केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र के अंश दान को 32 प्रतिशत तक घटा दिया गया है जिससे बिहार को भारी नुकसान उठाना पड़ता है और इससे राज्य की अपनी प्राथमिकता वाली योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

केंद्र की प्राथमिकता वाली योजना हो बंद

नीतीश कुमार ने पिछले पांच सालों में पहली बार इतनी बेबाकी से अपनी बात केंद्र के सामने रखी. उन्हों तथ्य पेश करते हुए कहा कि 2015-16 से ले कर 2018-19 तक केंद्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के चलते बिहार को 43 हजार करोड़ रुपय के करीब खर्च करना पड़ा जो राज्य की प्राथमिकता वाली योजनाओं को बाधित कर किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 में तो हमें 21 हजार करोड़ रुपये केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर खर्च करना पड़ा.

 

मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने साफ कहा कि  जहां केंद्र प्रायोजित परियोजनाओ में 75-90 प्रतिशत तक केंद्र का अंशदान हुआ करता था जिसे अब घटा कर 60 प्रतिशत कर दिया गया है. कुछ योजनायें तो ऐसी हैं जिसमें राज्य को 50 प्रतिशत तक की राशि खर्च करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इन योजना को बंद करने का वह सुझाव देते हैं क्योंकि राज्यांश अधिक होने का सबसे ज्यादा नुकसान बिहार को ही उठाना पड़ता है.

विशेष राज्य पर

मुख्य मंत्री ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को दोहराते हुए कहा रघुराम राजन समिति का हवाले देते हुए कहा कि उस समिति की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अत्यधिक पिछड़े राज्यों को आगे लाने के लिए केंद्र  अन्य रूप से केंद्रीय सहायता उपलब्ध करा सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विगत अनेक वर्षों से दस प्रतिशत का विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है जो केंद्र और अन्य कई राज्यों के विकास दर से ज्यादा है इसके बावजूद बिहार का औसत प्रति व्यक्ति आय मात्र 28 हजार रुपये है जो राष्ट्रीय ओसत आय का मात्र 32 प्रतिशत है. राष्ट्र औसत आय 86 हजार रुपये है.

नीतीश कुमार के इस बेबाक वक्तव्य का केंद्र सरकार पर क्या असर होगा यह कना मुश्किल है लेकिन जिस तरह से नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक में अपनी बात रखी है उससे साफ है कि नीतीश बिहार के हित के लिए अपनी बात मजबूती से रख दी है.

 

By Editor