मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंजीनियर हैं.मंझे हुए राजनीतिज्ञ तो हैं ही. दहेज, बाल विवाह जैसे मुद्दों पर राजनीति को नैतिक मूल्यों से  जोड़ने में भी माहिर हैं पर रविवार को वह एक अलग रूप यानी भूगर्भ शास्त्री के रूप में उपदेश देते नजर आये.

बेली रोड धसने के बाद निरीक्षण करते नीतीश
दर असल मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर बन रहे फ्लाई ओवर के समीप धसी हुयी सड़क का निरीक्षण किया.  बारिश क कारण पटना का व्यसत जवाहर लाल नेहरू मार्ग ( बेली रोड) काफी दूर तक धस गया. यहां पर जमींदोज पथ बन रहा है. इसी के निरीक्षण के क्रम में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कई दिशा निर्देश दिए।.
उन्होंने पटना के इतिहास को, भूगर्भ शास्त्र को एक साथ समेटने की कोशिश की. कहा कि अंग्रेजों के जमाने में ही यह सड़कबनायी गयी थी। यह सड़क लगभग 100 साल पुरानी है।

 

उन्होंने कहा कि जिस ढंग से रात में वर्षा हुई और उसके बाद जो यह हादसा हुआ है तो इसकी पूरी समीक्षा की जायेगी। यूं तो सड़क को री-स्टोर करने के लिए विभाग अपना काम करेगी, लेकिन ऐसी स्थिति उत्पन्न क्यूं हुई इसके लिए सिर्फ यही नहीं कि सिर्फ साइड के पानी से ही ऐसा हो गया होगा। मैंने यह भी सलाह दी है की यह भी देखिए कि यहां ग्राउंड वाटर लेवल क्या है. इस दौरान निर्माणाधीन सड़के इंजीनियर मौजूद थे.
तो सुनिये सोन नदी यहीं थी, जहां आप खड़े हैं
नीतीश ने सड़क के गर्भ के इतिहास को खंगाला. भूगर्भ शास्त्र की बातें निकाली. और कहा कि जहां हम लोग खड़ें हैं, वहां कभी सोन नदी गुजरती थी. यहां आप सभी जानते होंगे की जो सोन नदी का अलाइन्मेंट था, वो इसी इलाके से होकर गुजरता था। उसके बाद सोन नदी की धार बदल गई और जब 1912 में बंगाल से अलग होकर नया बिहार बना, उसके बाद ये कैपिटल एरिया अंग्रेजों के जमाने में विकसित हुआ.
 नीतीश इतने पर ही नहीं रुके. इस स्थान से सोन नदी गुजरती थी, उसकी प्रमाणिकता की तह तक जाते हुए नंजीनियरों को यह समझाने का प्रयास किया कि वह जो कह रहे हैं व तथ्यों और प्रमाणिकता पर आधारित है. उन्होंने कहा कि  न्यू कैपिटल एरिया में जो आवास बने हुए हैं उनमें अभी भी बोरिंग करने के बाद उसमें से सोन नदी का बालू ही निकलता है, जो इस बात को प्रमाणित करता है.
याद रहे कि सोन नदी का बालू अपने गुणों और निर्माण की उपयोगिता के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.  सोन नदी के अलाइंमेंट की बात सुनाने के बाद नीतीश फिर एक भविष्यदृष्टा के रूप में नजर आये. उन्होंने इंजीनियरों को समझाया कि  मैंने सड़क पर यातायात की बहुलता को देखते हुए आई0आई0टी0 के विशेषज्ञों ने अध्ययन करके पथ चक्र बनाने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि चुंकि यहां से साईड में कई सड़कें खुलती हैं और यातायात कई जगहों पर बाधित होता है, उसका एक मात्र उपाय था पथ चक्र, जिसका नामकरण किया गया “लोहिया पथ चक्र” और उस पर राज्य सरकार के पथ निर्माण विभाग ने काम करना प्रारंभ कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो मेट्रो रेल बनेगा और जो मेट्रो रेल का अलाइन्मेंट होगाउसके साथ इसका तालमेल होना चाहिए, ताकि किसी तरह का विरोधाभास न हो। इसकेअलावे ड्रेनेज और सीवरेज इन सभी चीजों को देखकर ये डिजायन बनाया गया है। उसके हिसाब से काम चल रहा था।भी देखना होगा कि इसका ग्राउंड वाटर लेवल क्या है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क धसने की इस घटना ने एक तरह से सचेत भी कर दिया है। अभी तो यहां खुदाई चल रही थी और इनको यहां एलिवेटेड रोड बनाना था। वैसी स्थिति में अगर ऐसा हो गया तो कम से कम इसने एक तरह से आगाह भी कर दिया और सचेत भी कर दिया है। हमने अधिकारियों को निर्देष दिया है कि इस सड़क की और नीचे से गहराई से अध्ययन किया जाए। हमने पथ निर्माण विभाग को भी कहा है और चुंकि मेट्रो रेल का भी निर्माण होना है जो यहाॅ पर अंडरग्राउंड ही रहेगा। उसका जो प्रोजेक्ट बना है उसके हिसाब से तो एक बार फिर से इसको देखना होगा। चुंकि एक छोटी सी जगह पर जब ऐसी घटना घट गई तो आगे भी इसकी गहन समीक्षा करके ही काम करना चाहिए।
 
इस मौके पर पथ निर्माण मंत्री श्री नंद किशोर यादव, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, पुलिस महानिदेषक श्री के0एस0 द्विवेदी, प्रधान सचिव नगर विकास एवं आवास श्री चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, प्रमंडलीय आयुक्त पटना श्री आनंद किषोर, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार, अध्यक्ष बिहार राज्य पुल निर्माण निगम श्री जीतेंद्र श्रीवास्तव, बिहार राज्य पथ विकास नगम लिमिटेड के प्रबंध निदेषक श्री संजय अग्रवाल, विशेष सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, आई0जी0 श्री नैय्यर हसनैन खां, डीआईजी श्री राजेश कुमार, पटना जिलाधिकारी श्री कुमार रवि, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री मनु महाराज सहित अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।

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