नीतीश की गुलामी न छोड़ी तो इतिहास में दफ्न हो जायेंगे ये मुस्लिम विधायक

जब पूरा देश NRC पर मोदी सरकार की ईंट से ईंट बजा रहा है ऐसे समय में मुस्लिम विधायकों के लिए अवसर है कि वे नीतीश की गुलामी से मुक्त हो लें.

Irshadul Haque, Editor Naukarshahi.com

यह एक ऐतिहासिक अवसर है जब उन्हें चुनना होगा कि वे देश के साथ रहें या एक ऐसे नेता की गुलामी करें जिसने नागरिकता बिल पर मुसलमानों के साथ छल किया.

बीते 8 दिनों से नागरिकता कानून के खिलाफ देशव्यापी स्तर पर तूफानी विरोध हो रहा है. लाखों लाख लोग सड़कों पर उमड़ रहे हैं. ये लाखों लोग किसी नेता के बुलावे पर नहीं आ रहे हैं. स्वत:स्फूर्त यह आंदोलन ऊचाइयां छू रहा है. अगर अब भी नीतीश के मुस्लिम विधायकों ने दीवार पर लिखी इबारत न पढ़ी तो वे तारीख के पन्नों में जयचंद और मीर जाफर की तरह याद किये जायेंगे.

Also Read

                  मुसलमानों के बहाने मूलनिवासी बहुजनों को गुलाम बनाने का षड्यंत्र है NRC

               NRC आंदोलन दीवार पर लिखी इबारत

जदयू के इन मुस्लिम विधायकों- मौलाना गुलाम रसूल बलियावी, खालिद अंसारी, नौशाद आलम, मास्टर मुजाहिद, खुर्शीद फिरोज, तन्वीर अख्तर समेत विधानसभा के सभी पांच विधायकों और सांसद कहकशा परवीन के लिए यह समय है कि वे अपना रवैया स्पष्ट करें. वे तय करें कि देश जब नागरिकता कानून के खिलाफ आगबबूला हो रहा है तो वे जदयू नेतृत्व के गुलाम बने रहेंगे या भारत को टुकड़े करने वाले नागरिकता कानून का समर्थन करते रहेंगे.

इन विधायकों, सांसदों को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत किशोर से प्रेरणा लेने का साहस अपनाना चाहिए. प्रशांत किशोर द्वारा नागरिकता कानून को ‘नागिरकों का डिमोनेटाइजेशन’  की संज्ञा देने के बाद उनकी लोकप्रियता में जो इजाफा हुआ है वह इन विधायकों के लिए एक नजीर है.

NRC पर छल के शिकार ना बनें

रही बात जदयू एक मंत्री द्वारा यह कहना कि बिहार में NRC लागू नहीं होगा, यह एक छलावा है. यह एक दोहरी और कोरी बयानबाजी है. साधारण समझ रखने वाला हर नागरिक यह जानता है कि नागरिकता संबंधी मामले केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इन मामलों पर राज्य सरकारें सियासी लाभ के लिए जो बयान दे लें, राज्य सरकारों के पास बहुत विकल्प नहीं है. दूसरी बात जो नीतीश कुमार नागरिकता संशोधन बिल पर पहले ना कहके, बाद में अमित शाह के सामने नतमस्तक हो गये हों. उनसे उम्मीद रखना, खुद को अंधेरे में रखना होगा.

Also Read

सुनो 20 करोड़ मुसलमानो! वादा करो हम NRC में नाम दर्ज नहीं करायेंगे, वे हमें देश से निकाल कर दिखायें

मुसलमानों की जनशक्ति की सौदागरी करके रातों रात विधान परिषद की कुर्सी पर जा बैठने वाले खालिद अंसारी का यह कहना कि बिहार में NRC लागू नहीं होगा. यह जनता के साथ दगाबाजी के अलावा कुछ नहीं है. वैसे भी खालिद जैसे नेता, जिन्होंने दीन बचाओ देश बचाओ रैली में उमड़े पांच लाख लोगों के जनसैलाब की सौदेबाजी का आरोप है, उन पर मुसलमानों को कत्तई भरोसा नहीं. लिहाजा उन्हें समझना चाहिए कि उनके पास भी अपने गुनाहों का प्रायश्चित करने का यह उचित समय है.

जहां तक गुलाम रसूल बलियावी की बात है तो उन्होंने इदारा शरिया की हैसियत का सियासी लाभ उठाया. बदले में सियासी कुर्सी हासिल की. बिहार के अवाम में उनके प्रति भी भारी नाराजगी है. लिहाजा वे तमाम विधायक-सांसद जो अब भी जदयू की गुलामी और पार्टी नेतृत्व के खौफ में बेजुबान और गूंगे बने हैं, उन्हें अपनी जुबान खोलनी चाहिए. नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध की रेलगाड़ी चल पड़ी है. ऐसा ना हो कि उनकी ट्रेन छूट जाये.

By Editor