नयी दिल्ली में राष्ट्रीय गंगा सफाई अभियान की कार्यकारी समिति की पांचवी बैठक में समिति ने उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लिये 150 करोड़ रु. की परियोजनायें नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत मंजूर कीं.  इन परियोजनाओं में छोटी नदियों, नहरों और नालों के मुख्य नदी में गिरने से पहले रोकने एवं मोड़ने का काम भी शामिल है.  इन्हें सीवेज परिशोधन इकाइयों की तरफ मोड़ा जायेगा ताकि मुख्य नदी में गिरने वाला पानी पूरी तरह से स्वच्छ और गंदगी से मुक्त हो. परियोजनाओं में सीवेज सफाई इकाइयां और घाटों का विकास भी शामिल है.

नौकरशाही डेस्‍क

समिति बिहार के सोनपुर में 30.92 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से 3.5 एमएलडी क्षमता के सीवेज सफाई संयत्र, सहायक कार्य और साथ ही सीवर लाइनों को रोकने एवं मोड़ने के काम को मंजूरी दी है. परियोजना में 15 वर्षों के लिये संयत्र के संचालन एवं रख-रखाव का व्यय भी शामिल है. पूरा हो जाने पर यह संयत्र शहर के सभी 5 नालों के जल को साफ करेगा, जिसमें आरएन टैगोर स्कूल ड्रेन, वार्ड 3-4 दीवार, कब्रिस्तान वार्ड 18, मीना बाजार के नाले शामिल हैं, जिनका प्रदूषित जल माहे नदी में गिरता है जो कि गंडक नदी में मिलती है. अंतत: यह प्रदूषित जल गंगा में मिलता है.

समिति ने 22.92 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से सोनपुर में नदी तटबंध के विकास के काम को भी मंजूरी दी है. इसमें एक घूमने-फिरने की जगह का निर्माण, तटबंधों की मजबूती, सुविधाओं के विकास के साथ-साथ घाटों का सौंदर्यीकरण शामिल है. इसके अतिरिक्त नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 20 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से 8 घाटों का निर्माण कार्य जारी है.

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