नियमों को घोर उल्लंघन कर के कोटा जाने का पास निर्गत करने वाले नवादा SDO सस्पेंड हो चुके हैं. अब भोजपुर सदर SDO ने वही गलती दोहराई है. क्या वह भी सस्पेंड होंगे. नौकरशाही डॉट कॉम के पास आरा एसडीओ द्वारा निर्गत पास की प्रति है.

भोजपुर SDO ने भी नियमों का घोर उल्लंघन कर पास जारी किया है

मुकेश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश के अलग-अलग जगहों पर फंसे बिहार के छात्र-छात्रायों और दिहाड़ी मजदूरों से अपील की थी “लॉकडाउन के बीच किसी को बुलाना नाइंसाफी है, लॉकडाउन के दौरान किसी को बुलाना संभव नहीं है” पर अनिल सिंह, विधायक हिसुआ जो बिहार विधानसभा के सदस्य हैं ने इसी लॉकडाउन के दौरान कोटा में फंसे पुत्र को लाने के लिए पिता का कर्तव्य निभाया था.

भोजपुर के सदर SDO ने रेलवे के एक कर्मी के लिए पास निर्गत किया था. रेलकर्मी का राजेश कुमार सिंह का बेटा कोटा, राजस्थान में लाकडाउन में फंसा है. उनके आवेदन पर भोजपुर के SDO अरुण प्रकाश ने वही गोलती दोहराई है जो नवादा के एसडीओ अनु कुमार ने की थी. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या वह भी स्सपेंड होंगे?

इस प्रकरण में सबसे पहले नौकरशाही. कॉम ने यह प्रश्न उठाया था कि यह अनुमंडल अधिकारी के कर्तव्यहीनता और सरकारी वाहन के दुरूपयोग का भी मामला है.

अनुमंडल दंडाधिकारी की कर्तव्यहीनता

नौकरशाही. कॉम ने सबसे पहले अपने एक्सक्लूसिव स्टोरी में बताया था कि नवादा सदर के अनुमंडल दंडाधिकारी अपने कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही बरती और बिहार सरकार के दिशा निर्देश की की अवहेलना की.

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बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए प्राधिकृत पदाधिकारी का उपयोगकर्ता पुस्तिका के अनुसार व्यक्तिगत कार्यों के लिए जिले के भीतर, अंतर-जिला और अंतर–राज्यीय हेतु ई-पास निर्गत करने के लिए प्राधिकृत पदाधिकारी जिलाधिकारी है. परंतु अनुमंडल दंडाधिकारी ने गोपनीय शाखा के आदेश संख्या 256 दिनाकं 15.04.2020 को अनिल सिंह के कोटा में फंसे पुत्र को लाने हेतु पास निर्गत किया. यह नियमों का उल्लंघन भी है और नीतीश कुमार के आदेश की नाफरमानी भी.

बिहार सरकार ने मंगलवार को नवादा सदर अनुमंडल दंडाधिकारी अनु कुमार को निलंबित कर दिया है. यह बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. इनका निलंबन नवादा के जिलाधिकारी के रिपोर्ट के आधार पर की गई है. रिपोर्ट के अनुसार बताया गया है कि ‘अनुमंडल दंडाधिकारी ने पास निर्गत करने से पहले आवेदन की पूरी तरह से छानबीन नहीं की और अन्तर्राज्यीय पाास निर्गत कर दिया. जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में अनुमंडल दंडाधिकारी को गंभीर लापरवाही का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी.

सरकारी वाहन का दुरूपयोग : —- नौकरशाही.कॉम ने सबसे पहले अपने एक्सक्लूसिव स्टोरी में बताया था कि जिस महिंद्रा स्कोर्पियो S-6 (डीजल) गाडी संख्या BP01PJ- 0484 का पास जारी किया गया है दरअसल वो एक सरकारी वाहन है और भारत सरकार के सरकारी दस्तावेजों में इसके मालिक का नाम ‘अंडर सेकेरेट्री’ दर्ज है. अब इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने संज्ञान लेते हुए विधायक के परिचालक शिवमंगल चौधरी से स्पष्टीकरण माँगा है. इस मामले से संबंधित सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.

दरअसल यह गाडी विधायक अनिल सिंह को आवंटित की गई है. इसे अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए राज्य से बाहर नहीं ले सकते हैं. विधायक ने बिना किसी पूर्व सुचना के वाहन को राज्य से बाहर कोटा ले गए और सरकारी वाहन का दुरुपयोग किया.

(लेखक पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में मीडिया के पीएचडी स्कॉलर हैं.

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