असम के एनआरसी मामले को भाजपा 2019 में चुनावी बम के तौर पर इस्तेमाल करेगी. वह इस पर राष्ट्रव्यापी भ्रम फैलाने में जुट गयी है. जबकि तथ्य यह है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का विवाद हिंदू-मुस्लिम विवाद नहीं, बल्कि असमी व बांग्लाभाषियों का विवाद है.
 
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/06/irshadul.haque_.jpg” ]इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम, फॉर्मर फेलो इंटरेनेशनल फोर्ड फाउंडेशन[/author]
2019 में भाजपा एनआरसी में शामिल नहीं किये जा सके 40 लाख लोगों को व्यापक चुनावी मुद्दा बनायेगी. वह इस मुद्दे को बांग्लादेशी घुसपैठिये के तौर पर प्रचारित करेगी. शब्दावली बांग्लादेश घसपैठिये होगा और इसकी मौन व्याख्या मुस्लिम होगी.
 
अब तथ्य जान लीजिए- असम के वित्त मंत्री सोमंतो विसवास सरमा, जो दरअसल व्यवहारिक रूप में मुख्यमंत्री हैं, स्वीकार करते हैं कि 40 लाख लोग, जिनके नाम एनआरसी में नहीं आये, उनमें एक तिहाई हिंदू हैं. यह संख्या करीब 14 लाख बनती है.
 
शेखर गुप्ता वरिष्ठ पत्रकार हैं. वह याद दिलाते हैं कि असम में घुसपैठिये के नाम पर हुए दंगों में 7 हजार लोग मारे गये थे. इनमें 3 हजार हिंदू थे. वह अनालाइज करते हुए कहते हैं कि असम में हिंदू मुस्लिम से बड़ी लड़ाई, असमी और बांग्लाभाषियों की रही है. बांग्लाभाषी वहीं हैं, जो बांग्लादेश से भाग कर असम आये. इनमें हिंदुओं की संख्या ज्यादा है. असमीज की घृणा बांग्लाभाषियों से है, चाहे वे हिंदू हो या मुसलमान.
 
राजीव गांधी ने 1985 में असम आंदोलनकारियों से समझौता किया था.तब एनआरसी अपडेट करने का समझौता तय हुआ. लेकिन उससे पहले इंदिरा गांधी ने तबके बांग्लादेश के वजीर ए आजम शेख मुजीब से करार किया था. उसके तहत एक करोड़ बांग्लादेशियों को वह अपने वतन में वापस लेने पर तैयार हो गये थे. पर रुकिये. यह जानिये कि इन एक करोड़ लोगों में से 80 लाख हिंदू थे. मामला खटाई में पड़ा रहा
 
भविष्य का एजेंडा यह है कि भाजपा सच्चाई पर पर्दा डाले रहेगी. चालीस लाख लोग, जो एनआरसी में शामिल नहीं हैं, उन सभी के मुस्लिम होने का दुष्प्रचार करेगी. और इसी से हिंदुओं को साम्प्रदायिक रूप से विभाजित करेगी. यह फार्मुला पूरे देश के लिए उसकी कामयाबी का सूत्र बनेगा, ऐसा वह मान कर चल रही है. फिर चुनाव बाद, इन चालीस लाख लोगों में से 32-35 लाख को एनआरसी में शामिल करने का बहाना खोज निकालेगी. वैसे, इस मामले में उसने एक वैकल्पिक एजेंडा भी अपना रखा है. यह एजेंडा है विदेशी नन मुस्लिम घुसपैठिये( जिसे आरएसएस शर्णार्थी कहता है) को नागरिकता प्रदान करने के लिए संसद में कानून बनाने की कोशिश करेगी.
 
देश के उन सियासी रहनुमाओं को, जो साम्प्रदायिक एजेंडे पर राजनीति नहीं करते, उन्हें भाजपा की इस रणनीति को ध्यान में रखना होगा. भाजपा के दष्प्रचार तंत्र द्वारा फैला जाने वाले जहर की हकीकत सारी दुनिया को बतानी पड़ेगी.

By Editor