Owaisi ने राहुल गांधी पर कसा तंज, पूछा जिन्न हो क्या

AIMIM के प्रमुख Asaduddin Owaisi ने राहुल गांधी की मिमिक्री करते हुए तंज कसा। वीडियो वायरल। पहले राहुल की पदयात्रा से भाजपा परेशान थी, अब ओवैसी क्यों?

कुमार अनिल

एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राहुल गांधी पर मिमिक्री के साथ जबरदस्त हमला किया है। पूछा कि 50 साल के हो गए और कहते हो कि ठंड नहीं लगती। जिन्न हो क्या? यह कहते हुए ओवैसी अपने कंधे उचकाते हैं और थरथराते हैं, जैसे हुत ठंड लग रही हो। ओवैसी ने राहुल गांधी के उस बयान पर भी सवाल किया, जिसमें कहा था कि उन्होंने राहुल गांधी को मार दिया है। राहुल गांधी मेरे दिमाग में नहीं है। आपके दिमाग में, भाजपा के दिमाग में हो सकता है। ओवैसी ने इस बयान पर भी कहा कि कहते हो खुद को मार दिया, तो क्या तुम्हारा जिन्न चल रहा है?

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ओवैसी के वीडियो से उनकी थरथराते और हंसते हुए फोटो शेयर करते हुए लिखा-कौन फ़रिश्ता है, कौन इब्लीस है और कौन जिन्न, यह तो ख़ुदा जाने। मगर आप तो यहाँ जिन्न के क़ब्ज़े में लग रहे हो? जादू जिन्नात और ऊपरी हवा का मुकम्मल इलाज कराओ भाईजान। कांग्रेस अल्पसंख्यक के चेयरमैन इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा-भारत जोड़ो यात्रा से नागपुर से हैदराबाद तक बड़ी बेचैनी देखी जा रही है।

सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग ओवैसी की आलोचना ही कर रहे हैं। एक ट्विटर यूजर जावेद अख्तर ने लिखा-नफरत आपके अंदर भी कम नहीं है? थोड़ा मुहब्बत की बात कीजिए और देश को आगे ले जाने वालों के साथ चलिए, देश को तोड़ने वालो के साथ न दीजिए तो ठीक होगा। अबुल अब्बास ने लिखा-जिन्न और जोकर की तरह आपकी हरकत है एकदम जड़ बुद्धि ही हो क्या? मतलब मुहावरा समझ नहीं आता बैरिस्टर कैसे बन गए।

राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने खुद को मार दिया है। हिंदू, बौद्ध, जैन आदि धर्मों में स्वंय को मारने का अर्थ होता है, मैं भाव को खत्म कर देना। कर्ता भाव को खत्म कर देना। अहंकार को खत्म करना। इसके बाद आप उसे गाली भी देंगे, तो उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। राहुल ने एक बार प्रेस वार्ता में बगल वाले को अपना मोबाइल देने को कहा। जब वे देने लगे, तो राहुल ने कहा कि वे नहीं लेते हैं। नहीं लिया। इसी तरह गाली आप दीजिए, वे नहीं लेंगे। गाली फिर आपके पास ही लौट जाएगी।

जीते जी मरना भला, जो मरि जानै कोय। मरना पहिले जो मरे, अजय अमर सो होय।।

कबीरा खड़ा बाजार में, लिए लुकाठी हाथ जो घर फूंके आपनौ, चले हमारे साथ। कबीर की इस वाणी का भी यही अर्थ है।

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