पहली बार : 40 % टिकट महलाओं को, कांग्रेस दफ्तर में उमड़ी भीड़

लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का बिल 25 वर्षों से पेंडिंग पड़ा है। अब देश में पहली बार कांग्रेस देगी 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट।

कुमार अनिल

आम तौर से प्रमुख दल विधानसभा चुनावों में महिलाओं को 10-12 फीसदी टिकट ही देती रही हैं। अधिक से अधिक 20-22 प्रतिशत। 2020 विधानसभा चुनाव में भाजपा के 110 प्रत्याशियों में महिला प्रत्याशी केवल 13 थीं। हर दल महिला सशक्तीकरण की बात करता है, लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है, तो तर्क बदल जाते हैं। कहा जाता है कि जीतने वाले प्रत्याशी को टिकट देना है। अब देश में पहली बार यूपी विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की है। उन्होंने इसे देश में नई शुरुआत कहा। घोषणा के बाद कांग्रेस दफ्तर में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पिछले 25 वर्षों से पेंडिग पड़ा है। इस बिल को 1996 में पहली बार लोकसभा में पेश किया गया था। फिर 2008 में यूपीए सरकार ने दुबारा पेश किया। बिल राज्यसभा से पारित हो चुका है, लेकिन लोकसभा में पेंडिंग पड़ा है। मोदी सरकार ने पिछले सात वर्षों में कभी इस बिल को पारित कराने की पहल नहीं की। इस बिल के पारित होने के बाद लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।

संसद और विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधित्व के मामले में भारत फिसड्डी देशों में है। हम भले ही खुद को विश्व गुरु कहते रहे, लेकिन इस मामले में भारत दुनिया के औसत प्रतिनिधित्व लगभग 25 फीसदी से काफी नीचे 15 फीसदी है।

अब प्रियंका गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव में एक नया एजेंडा छेड़ दिया है, जिस पर भर चुनाव चर्चा होती रहेगी। भाजपा के साथ ही सारे दलों को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। एक पत्रकार ने पूछा कि 40 प्रतिशत क्यों, तो प्रियंका का जवाब था, मेरा वश चलता तो 50 फीसदी टिकट महिलाओं को देती।

आज लखनऊ में बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस देश की महिलाओं को समर्पित है। कांग्रेस महिला शक्ति को राजनीति में 40% भागीदारी सुनिश्चित कर अधिकार देगी। इस बदलाव की शुरुआत उत्तर प्रदेश के रण से होने जा रही है।

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