संसद के उच्च सदन ने संसदीय संस्थानों के कामकाज, सामाजिक आर्थिक बदलाव में कानूनों की भूमिका और विभिन्न संसदीय समितियों के प्रभावों के बारे में शोध तथा अध्ययन के लिए ‘राज्य सभा शोध और अध्ययन योजना’ की शुरूआत की है। 

इस योजना के तहत 58 लाख 50 हजार रूपये का अनुदान दिया जायेगा। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस योजना को मंजूरी दे दी है और इसके तहत डा एस राधाकृष्णन पीठ के लिए 22.50 लाख रूपये, 8.50 लाख रूपये की चार शोधवृति और दस छात्रों को इंटर्नशिप के दौरान हर महीने 10-10 हजार रूपये का वजीफा दिया जायेगा। यह कुल राशि 58.50 लाख रूपये होगी।

यह योजना राज्यसभा के सदस्यों, दोनों सदनों के मौजूदा और पूर्व महासचिवों , अग्रणी शिक्षाविदों तथा शोधकर्ताओं के साथ व्यापक विचार-विमर्श के आधार पर तैयार की गयी है। ये बैठकें श्री नायडू की अध्यक्षता में हुई थी।

शोध और अध्ययन रिपोर्ट समय पर पूरी हो तथा जमा की जाये इसके लिए अनुदान राशि उसकी प्रगति के आधार पर चरणों में जारी की जायेगी और इस बारे में हर छह महीने में रिपोर्ट देनी होगी।

डा. राधाकृष्णन पीठ योजना की अवधि दो वर्ष होगी जबकि शोधवृति की अवधि 18 महीने तथा इंटर्नशिप की दो महीने होगी। स्नात्तक और स्नातकोत्तर के छात्रों को गर्मी की छुट्टियों में दो महीने की इंटर्नशिप करायी जायेगी। इस दौरान उन्हें राज्यसभा के कामकाज के सभी पहलुओं से अवगत कराया जायेगा। राज्यसभा ने डा एस राधाकृष्णन पीठ और चार शोधवृतियों के लिए इस महीने के अंत तक आवेदन आमंत्रित किये हैं।

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