पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ शांति भंग करने का आरोप रद्द

केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ शांति भंग करने के आरोप को अदालत ने रद्द कर दिया। वे साढ़े छह महीने से जेल हैं। प्रशांत भूषण ने उठाया बड़ा सवाल।

पिछले साल सितंबर में हाथरस में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप की घटना हुई थी। इसके बाद यह राष्ट्रीय मुद्दा बन गया था। छह अक्टूबर को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन जब वहां रिपोर्टिंग के लिए गए, तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। वे साढ़े छह महीने से जेल में हैं।सीआरपीसी की धारा 116 (6) के तहत छह महीने के भीतर पुलिस को जांच करनी पड़ती है, लेकिन जांच पूरी करने में विफल रहने के कारण शांति भंग के आरोप को कोर्ट ने रद्द कर दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि कप्पन को साढ़े छह महीना जेल में रखा गया। क्या इसके लिए पुलिसकर्मियों को सजा मिलेगी?

इसी महीने 3 जून को सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ पर राजद्रोह का लगाया मुकदमा खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्रकार को सरकार की आलोचना, विरोध करने का अधिकार है। तो क्या उस फैसले का लाभ कप्पन को मिलेगा?

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सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि कप्पन तो सिर्फ घटना को कवर करने जा रहे थे। उन्होंने सरकार का कोई विरोध नहीं किया। कई ने लिखा है कि भाजपा सरकारें जानबूझकर केस लाद देती हैं, बाद में व्यक्ति कोर्ट से मुक्त हो जाता है, लेकिन इस दौरान उसे मानसिक प्रतारणा से गुजरना पड़ता है। आर्थिक तौर पर वह टूट जाता है और परिवार तबाह हो जाता है। एक ने मांग की कि इस तरह बिना किसी आधार के पत्रकारों को मुकदमे में फंसाने के खिलाफ ऐसा प्रावधान होना चाहिए, जिससे दुबारा किसी कप्पन को प्रताड़ित न किया जा सके। अब देखना है कप्पन कितनी जल्दी जेल से बाहर आते हैं।

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