फूंकना को थूकना बता शाहरुख के पीछे पड़ा नफरती गैंग

लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर के सामने शहारुख खान ने फातिहा पढ़ा और फूंका तो नफरती गैंग पीछे पड़ गया। कहने लगा शाहरुख ने थूका।

फातिहा और प्रणा साथ-साथ। इसीलिए नफरती शायद परेशान हो गए।

भारत रत्न लता मंगेशखर के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर पर सबने फूल-मलाएं चढ़ाईं। सबने अपने-अपने ढंग से उन्हें श्रद्धांजलि दी। किसी ने प्रणाम किया किसी ने फातिहा पढ़ा। यही तो भारत की विविधता में एकता पर है, पर इस मौके पर भी नफरती गैंग धर्म के नाम पर नफरत फैलाने से बाज नहीं आया। शाहरुख कान के पीछे नफरती गैंग पड़ गया और कहने लगा कि शाहरुख ने थूका है, जबकि उन्होंने फातिहा पढ़ने के बाद फूंतने की रस्म अदी की।

पटना के हाफिज शानुद्दीन ने बताया कि पार्थिव शरीर के सामने फातिहा पढ़ा जाता है। इस दौरान कुरान की आयतें पढ़ी जाती हैं। पढ़ने के बाद दुआ की जाती है कि कुरान को आयतों को पढ़ने का जो पुण्य है, वह मृतक को मिले। इस दौरान फूंकने की परंपरा है।

सोशल मीडिया पर नफरती गैंग ने ट्रेंड कराया कि शाहरुख ने लता के शरीर पर थूका है, जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने लता की आत्मा की शांति के लिए अल्लाह से दुआ की।

सोशल मीडिया पर अनेक लोगों ने नफरती गैंग की जमकर क्लास भी लगाई। लेखक और प्राध्यापक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा-यह जो @imsrkp के बारे में “सवाल” उछाला है, घिनऊपन के साथ संस्कृति और भाषा के बारे में घोर अज्ञान का भी इशारा करता है। मुस्लिम परंपरा में दुआ (प्रार्थना) फूँकी” जाती है, और हिन्दू में गुरुमंत्र।भाव एक ही है-दो आत्माओं के बीच ईश्वर की साक्षी में नितांत निजी संवाद।असली ज़िन्दगी में दोनों परंपराओं, अनेक परंपराओं का लगातार संवाद होता है, यही सच्ची भारतीयता की पहचान है। @imsrkp की दुआ सहज हिन्दू मन को नहीं, @devduttmyth जिसे अमरीकापंथी हिन्दूइजम कहते हैं उस से जुड़े सांस्कृतिक रूप से खोखले राजनीतिक हिन्दुत्व को ही बुरी लगेगी।

लेखक अशोक पांडेय ने कहा-बचपन में माँ कहती थीं- फूँक कर दिया/मोमबत्ती नहीं बुझानी चाहिए। अपशकुन होता है। नातिन के जन्मदिन पर शौक़ से मोमबत्तियाँ फूँक कर बुझवाते उनके चेहरे पर जो ख़ुशी आती थी, वह अद्भुत थी। परम्पराएँ ऐसे ही घुलमिल जाती हैं अगर ज़हर न हो मन में। ज़हर हो तो मुस्कान भी ज़हरीली हो जाती है।

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By Editor