पीएम मोदी की विफलता में छिपी है बाबा बागेश्वर की सफलता

बिहार भाजपा बाबा बागेश्वर की शरण में है। बाबा की सभा में उमड़ी भीड़ की वजह दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विफलता में छिपी है। समझिए कैसे।

कुमार अनिल

बाबा बागेश्वर की हनुमंत कथा से ज्यादा चर्चा उनके चमत्कारों की है। किसी को नौकरी नहीं मिल रही, किसी को चिंता है कि बेटा का बिजनेस नहीं चल रहा, किसी का खेती से गुजारा नहीं हो रहा, किसी का मकान नहीं बन पा रहा, किसी की इच्छा है कि बेटा या बेटी आईएएस-आईपीएस बन जाए। ऐसे लोग प्रायः किसी चमत्कारी बाबा की भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं। अध्यात्म और भक्ति में लोग अपनी इच्छाओं से, अहं से, लोभ-लालसा से, ईर्ष्या, हिंसा और नफरत की प्रवृत्ति से मुक्त होना चाहते हैं। इसे ही सांसारिक दुर्गुण कहा गया है। इसके विपरीत चमत्कार इन सांसारिक दुर्गणों का पोषण करता है। लोभ और लालसा, इच्छा को जिंदा रखता है कि शायद वो नहीं तो ये बाबा इच्छा पूरी कर दें। इसलिए बाबा की भीड़ में आत्मा की शुद्धि की बात नहीं हो रही, बल्कि अर्जी लगाई जा रही है। अर्जी के लिए पुरुषार्थ की जरूरत नहीं, प्रयास की जरूरत नहीं, सत्य को स्वीकार करने की जरूरत नहीं होती। अर्जी लगाई और काम हो गया।

बाबा बागेश्वर की कथा पटना जिले के तरेत पाली मठ में आयोजित की गई। इसके आसपास के गांव में खास जाति की संख्या अधिक है, जो लगभग तीन दशकों से भाजपा के साथ है। उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चमत्कार की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। खेती किसानी में दोगुना लाभ से लेकर हर साल दो करोड़ युवकों को नौकरी और रोजगार देने का वादा था। सरकारी महकमों में 30 लाख पद खाली हैं। सबसे ज्यादा रोजगार देनेवाले रेलवे का बुरा हाल है।

बाबा ने बुधवार को एक गीत भी गाया– जानत बबुआ GM होइ है, ना ना इ त DM होइ है हो।

मोदी है तो मुमकिन है अब बोलना आसान नहीं रहा। तो प्रधानमंत्री मोदी को चमत्कारी नेता मानने वाला वर्ग आखिर कहां जाए? वह नीतीश कुमार के साथ जाने को तैयार नहीं, राजद को वह देखना नहीं चाहता। तो अब रास्ता क्या बचता है? जब उम्मीदें टूटती हैं, तो बाबा बागेश्वरों की पूछ बढ़ जाती है।

यह तो हुई कथा में जुटी भीड़ की बात, भाजपा के सारे दिग्गज नेता भी बाबा बागेश्वर के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। भाजपा को बड़ी उम्मीद है। बाबा का कार्यक्रम गया में तय हो गया है। जल्द ही उनके कार्यक्रम अन्य शहरों में भी तय हों, तो आश्चर्य नहीं। भीड़ की तरह भाजपा को भी किसी नये नायक की जरूरत है। कर्नाटक में खुद पीएम को बजरंग बली से उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हुई। बिहार की सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्ष माटी में भाजपा किसी चमत्कारी बाबा की तलाश कर रही है, जो बेड़ा पार लगाए।

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