Prashant Kishorविधानसभा में सीटों के वितरण के लिहाज से राज्यसभा की चार सीटें तृणमूल को मिलेंगी, लेकिन पांचवीं सीट पर माकपा-कांग्रेस और तृणमूल-कांग्रेस का कोई उम्मीदवार जीतेगा। खाली हो रही पांच सीटों में से चार सीटों पर फिलहाल जोगन चौधरी, मनीष गुप्ता, अहमद हसन इमरान और के. डी. सिंह हैं। ये चारों तृणमूल से हैं। पांचवीं सीट पर ऋतब्रत बनर्जी हैं, जो 2014 में माकपा की उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए थे, लेकिन पार्टी ने 2017 में उन्हें निकाल दिया था। तृणमूल सूत्रों की मानें तो एक को छोड़कर बाकी तीनों उम्मीदवारों की जगह पार्टी नए चेहरे उतार सकती है।

Prashant Kishor की सियासी महायोजना क्या है, वह चाहते क्या हैं?

Prashant Kishor
Prashant Kishor की सियासी महायोजना क्या है, वह चाहते क्या हैं?

Prashant Kishor यानी PK की बाहिरा में बड़ी राजनीतिक योजना है. इसे महायोजना कह लीजिए. एक ऐसा राजनीतिक एजेंडा जिसके तहत एक समानांतर सियासी विकल्प खड़ा किया जा सके.

[author image=”http://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/06/irshadul.haque_.jpg” ]Irshadul Haque, Editor naukarshahi.com[/author]

Prashant Kishor की सियासी महायोजना के बारे में उन्होंने आज पटना में इशारों-इशारों में बात की. उन्होंने दिल्ली से लौटने के बाद कहा भी कि “अगल पांच साल- दस साल मैं कहीं नहीं जा रहा. हम बिहार को विकसित राज्य बनाने के एजेंडे पर काम करना चाहते हैं. आज बिहार प्रति व्यक्ति आये के मामले में बाइसवें स्थान पर है. हमें दसवें स्थान पर पहुंचने में अगले दस साल में राज्य के प्रतिव्यक्ति की आय आठ गुनी बढ़ानी होगी. हम राज्य के दस हजार युवाओं की पहचान कर रहे हैं जो अगले पांच-दस साल में बिहार की तकदीर बदलने में अपनी भूमिका निभा सकें.”

Prashant kishor सियासत की नयी धारा गढ़ना चाहते हैं

Prashant Kishor अपने इस अभियान में सीधे तौर पर न तो राजद पर प्रहार करने की रणनीति अपना रहे हैं और न ही जदयू पर हमला बोलने के मूड में हैं. इसी लिए वह कहते हैं कि “बिहार की बदहाली का आरोप अब भी लालू यादव के सर पर मढ़ने का दौर खत्म हो चुका है. लालू का दौर बीते पंद्रह साल हो चुके हैं. ऐसे में अब भी यह कहना कि पटना जो कभी शाम छह बजे बंद हो जाता था अब दस बजे रात तक खुला रहता है, ऐसे बातें अब नहीं चलने वालीं. अब बिहार यह चाहता है कि वह देश का अग्रणि राज्य कैसे बने”.

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Prashant kishor की रणनीति अब साफ होती जा रही है. वह किसी दल, किसी सियासी संगठन में शामिल होने के बजाये अपना सियासी संगठन खड़ा करने की जुगत में हैं. उन्हें बखूबी पता है कि अक्टूबर-नवम्बर में राज्य में चुनाव होंगे. ऐसे में उनकी कोशिश है कि वह सही समय पर अपनी राजनीतिक पार्टी की भी घोषणा कर दें.

महायोजना

जो लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं उन्हें यह पता होगा कि प्रशांत किशोर की कम्पनी आईपैक  ( Indian Political Action Committee) पिछले कई महीनों से बिहार के युवाओं से जुड़ कर एक नेटवर्क बनाने में लगी है. फेसबुक पर चल रहे इस अभियान के तहत युवाओं को साइनअप करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है. इस पर अभी तक 2 लाख 93 हजार युवाओं ने साइन अप कर भी दिया है. प्रशांत ने इसकी घोषणा भी कि और कहा कि हम जल्द ही “बिहार की बात” योजना की शुरुआत करने वाले हैं.

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प्रशांत किशोर जिस तरह से आज पटना में अपनी राजनीतिक योजनाओं की जानकारी दे रहे थे उससे साफ इशारा मिलता है कि वह बिहार में एक सेक्युलर, समाजवादी राजनीतिक विकल्प खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं और वह इसके लिए बिहारी अस्मिता को अपने एजेंडा का हिस्सा बनायेंगे.

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आप को याद दिलायें कि 2010 में नीतीश कुमार बिहारी अस्मित की सियासत कर चुके हैं. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उनके बिहारी अस्मिता के एजेंडा का हिस्सा था. इस एजेंडे में इतना पोटेंशियल जरूर है कि वह बिहार के बेरोजगारों, युवाओं, और राजनीतिक महत्वकांक्षा रखने वालों को एक प्लेटफार्म पर खड़ा करने की कोशिश कर सकते हैं.

 

By Editor