प्यार अपार : तारापुर को न लालू भूल पाएंगे न हजारों समर्थक

बहुत कम नेता ऐसे हैं, जो लंबी बीमारी के बाद जनता के बीच गए और उन्हें अपार प्यार मिला। तारापुर- कुशेश्वर को न कभी लालू भूल पाएंगे, न ही समर्थक।

कुमार अनिल

कोई एक बार लंबी बीमारी में फंस जाए, तो क्या होता है? कुछ दिन तो लोग हाल-चाल पूछते हैं, फिर धीरे-धीरे आदमी अपने परिवार में सिमट कर रह जाता है। अधिकतर नेताओं के साथ भी इतिहास में ऐसा ही हुआ है। लेकिन लालू प्रसाद की बात कुछ और है। वे छह साल बाद किसी सभा को संबोधित करने गए और भीड़ तथा भीड़ का प्यार ऐसा कि कई नेता लालू से ईर्ष्या करने लगें।

आज लालू प्रसाद तारापुर और कुशेश्वरस्थान की सभा में लोगों के बीच थे। जब वे बोलने के लिए खड़े हुए, तो जैसे शोर का बवंडर उठ गया। लालू क्या बोल रहे हैं, यह सुनना मुश्किल था। टीवी एंकर ऑडियो सिस्टम को दोष दे रहे थे, जबकि हकीकत यह थी कि समर्थक शोर से अपना प्यार इजहार कर रहे थे। इस प्यार से लालू भी अभिभूत थे। पहले की सभाओं में शोर होने पर वे कह देते थे, चुप रहो, सुनो..। लेकिन तारापुर में उन्होंने यह नहीं कहा। खुद लालू प्रसाद भी अपनी बीमारी को उन पलों में भूल गए होंगे। सच है, जो काम दवा नहीं कर सकती, वह अपनों का प्यार कर सकता है।

लालू को मिला यह प्यार नसीब की बात नहीं है, बल्कि जनता से उनके दशकों के संबंध का परिणाम था। तारापुर और कुशेश्वरस्थान से मिला प्यार लालू कभी भूल नहीं पाएंगे और समर्थक भी दशकों तक याद करेंगे।

लालू प्रसाद ने दोनों सभाओं में अपने अंदाज में नीतीश सरकार की बखिया उधेड़ी। जातीय जनगणना, विशेष राज्य का दर्जा सब पर बोले। उन्होंने नीतीश के उस बयान का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि लालू गोली मरवा सकते हैं। इसका जवाब लालू ने शालीनता से दिया। कहा, हम क्यों गोली मरवाएंगे। अपने मर जाओगे।

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