राहुल ने किया अपने इस्तीफे का पत्र सार्वजनिक, पढ़ लीजिए कांग्रेसियों को झकझोर देने वाला पत्र

राहुल ने इस पत्र को ट्विट किया है और लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम करना सम्मान की बात है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विचार देश के लिए जीवन रक्त की तरह हैं.

कांग्रेस के लिए काम करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है, जिसके आदर्श हमारे ख़ूबसूरत देश के लिए जीवन शक्ति है. मेरे ऊपर पार्टी और मुल्क के प्यार का क़र्ज़ है और मैं इसका अहसानमंद हूं.

 
कांग्रेस प्रमुख के तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव में हार की ज़िम्मेदारी मेरी है. भविष्य में पार्टी के विस्तार के लिए जवाबदेही काफ़ी अहम है. यही कारण है कि मैंने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया है.
 
पार्टी को फिर से बनाने के लिए कड़े फ़ैसले की ज़रूरत है. 2019 में हार के लिए कई लोगों की जवाबदेही तय करने की ज़रूरत है. यह अन्याय होगा कि मैं दूसरों की जवाबदेही तय करूं और अपनी जवाबदेही की उपेक्षा करूं.
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पत्र को किया ट्विटर पर शेयर

 
कांग्रेस पार्टी के कई सहयोगियों ने मुझसे कहा कि मैं अगले अध्यक्ष का चुनाव करूं. पार्टी का जो भी नया अध्यक्ष होगा, उसे मैं चुनूं यह मेरे लिए ठीक नहीं होगा. हमारी पार्टी का विशाल इतिहास और विरासत है. मैं इसके संघर्ष और मर्यादा का आदर करता हूं. यह हमारे मुल्क की बनावट के साथ गुँथा हुआ है.

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मेरा भरोसा है कि पार्टी नेतृत्व के मामले में बिल्कुल सही फ़ैसला लेगी और नया नेतृत्व पार्टी को साहस, प्रेम और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ाएगा.
 

नये अध्यक्ष का जल्द हो चुनाव

इस्तीफ़ा देने के तत्काल बाद मैं कांग्रेस वर्किंग कमिटी में अपने सहकर्मियों को सलाह देता हूं कि वो नए अध्यक्ष चुनने की ज़िम्मेदारी एक ग्रुप को दें. वही ग्रुप नए अध्यक्ष की खोज शुरू करे. मैं इस मामले में मदद करूंगा और कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन बहुत ही आसानी से हो जाएगा.
 
मेरा संघर्ष महज सत्ता पाने के लिए नहीं रहा है.
 
बीजेपी के ख़िलाफ़ मेरे मन में कोई नफ़रत नहीं है लेकिन भारत के बारे में उनके विचार का मेरा रोम-रोम विरोध करता है.
 
ये विरोध इसलिए है क्योंकि मेरा अस्तित्व एक ऐसे भारतीय विचार से ओतप्रोत है जो उनके भारत के विचार से सीधे टकराता है. ये कोई नई लड़ाई नहीं है, ये हमारी धरती पर हज़ारों सालों से लड़ी जाती रही है. जहां वे अलगाव देखते हैं, वहां मैं समानता देखता हूं. जहां वे नफ़रत देखते हैं, मैं मोहब्बत देखता हूं. जिस चीज़ से वो डरते हैं मैं उसको अपनाता हूं.
 

भारत के विचार की करेंगे रक्षा

 
यही वो भारत का विचार है जिसे हम अब अपने पूरे दमखम से रक्षा करेंगे.
 
हमारे देश और हमारे संविधान पर जो हमला हो रहा है, वो हमारे राष्ट्र की बुनावट को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
 
इस लड़ाई से मैं किसी भी तरह से पीछे नहीं हट रहा हूं. मैं कांग्रेस पार्टी का एक वफ़ादार सिपाही और भारत का समर्पित बेटा हूं और मैं अपनी अंतिम सांस तक इसकी सेवा और रक्षा करता रहूंगा.
 
हमने एक तीखा और प्रतिष्ठित चुनाव लड़ा. हमारा चुनाव प्रचार भारत के सभी लोगों, धर्मों और समुदायों के लिए भाईचारे, सहिष्णुता और सम्मान वाला था.
 
 
मैंने अपने पूरे दमखम के साथ व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री, आरएसएस और उन संस्थाओं से संघर्ष किया है जिन्हें उन्होंने कब्ज़ा कर रखा है.
 
मैं लड़ा क्योंकि मैं भारत को प्यार करता हूं. मैं उन आदर्शों को बचाने के लिए लड़ा जिनकी बुनियाद पर भारत खड़ा है.
 
एक समय मैं पूरी तरह अकेला खड़ा रहा और मुझे इस पर गर्व है. मैंने अपने कार्यकर्ताओं और पार्टी सदस्यों, पुरुषों और महिलाओं के साहस और समर्पण से बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने मुझे प्यार दिया और विनम्रता सिखाई है.
 
पूरी तरह से स्वतंत्र और साफ़-सुथरे चुनाव के लिए देश की संस्थाओं का निष्पक्ष रहना अनिवार्य है. कोई भी चुनाव स्वतंत्र प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और एक पारदर्शी चुनाव आयोग जो कि निष्पक्ष हो के बग़ैर सही नहीं हो सकता. तब भी कोई चुनाव स्वतंत्र नहीं हो सकता है जब तक सभी वित्तीय संसाधनों पर एक ही पार्टी का क़ब्ज़ा हो.
 
हमने 2019 के चुनाव में एक राजनीतिक पार्टी का सामना नहीं किया बल्कि, हमने भारत सरकार की पूरी मशीनरी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, हर संस्था को विपक्ष के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया गया था. ये बात अब बिल्कुल साफ़ है कि भारत की संस्थाओं की जिस निष्पक्षता की हम अब तक सराहना करते रहे थे, वो निष्पक्षता अब नहीं रही.
 
 
देश की सभी संस्थाओं पर क़ब्ज़ा करने का आरएसएस का उद्देश्य अब पूरा हो गया है. हमारा लोकतंत्र अब मौलिक तौर पर कमज़ोर कर दिया गया है. सबसे बड़ा ख़तरा ये है कि अब से चुनाव जो कि भारत का भविष्य निर्धारित करते थे अब वो केवल एक रस्मअदायगी भर रह जाएंगे.
 
सत्ता पर क़ाबिज़ होने के परिणाम स्वरूप भारत को अकल्पनीय हिंसा और पीड़ा सहना होगा. किसानों, बेरोज़गार, नौजवानों, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को सबसे ज़्यादा नुक़सान सहना होगा.
 
हमारे देश की अर्थव्यवस्था और साख पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा.
 
प्रधानमंत्री की इस जीत का मतलब ये नहीं है कि वो भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हो गए हैं. कोई कितना भी पैसा ख़र्च कर ले या कितना ही प्रॉपेगैंडा कर ले, सच्चाई की रोशनी को छिपाया नहीं जा सकता है. भारत की संस्थाओं को दोबारा हासिल करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए पूरे भारत को एक होना होगा और कांग्रेस पार्टी ही इन संस्थाओं को दोबारा खड़ा करेगी.

By Editor