राहुल की एक चाल में फंस गए मोदी, BJP को तीन भारी नुकसान

राहुल गांधी को पप्पू कहने वालों के होश उड़ गए हैं। राहुल के भाजपा के संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल जाने से प्रधानमंत्री मोदी का ब्रांड दरक गया।

कुमार अनिल

राहुल गांधी को पप्पू कहने वाले स्तब्ध हैं। राहुल गांधी दिल्ली में महात्मा गांधी, नेहरू, चरण सिंह, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के समाधि स्थलों पर तो गए ही, वे भाजपा और जनसंघ के संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल भी पहुंचे और श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस कदम से भाजपा बौखला गई है। उसे तीन बड़े नुकसान होने वाले हैं। इनमें पहला है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज का अचानक कमजोर पड़ना, छोटा-संकीर्ण दिखना।

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की इमेज के कुछ खास पहलू हैं। उन्हें स्ट्रॉन्ग लीडर माना जाता है, जिसे उनके समर्थक 56 इंच के रूप में प्रचारित करते है। उनके बराबर कोई नहीं। अकेले निर्णय लेनेवाला, किसी की नहीं सुनने वाला नेता। उनकी दूसरी इमेज है हिंदू सम्राट की। मंदिरों में आरती करना, रुद्राक्ष पहनना, चौड़ा टीका लगाना आदि। वे मुसलमानों से खास दूरी बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। उनकी तीसरी इमेज है विश्व के बड़े नेता की। भाजपा समर्थक प्रचारित करते हैं कि मोदी के बराबर कोई नहीं।

वाजपेयी के समाधि स्थल जा कर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के बरअक्स, विलोम में अपनी छवि गढ़ दी। राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी के ठीक विपरीत सबकी सुनने वाला, हर धर्म की इज्जत करने वाला, विरोधी विचारधारा के किसी अच्छे नेता का भी सम्मान करने वाला, गरीब, कमजोर, किसान, बेरोजगार, महिला के साथ खड़े होने वाला। एक राष्ट्र-एक भाषा-एक पहनावा के विपरीत विविधता को भारत की विशेषता बतानेवाले के रूप में अपनी छवि गढ़ दी।

वाजपेयी की समाधि पर जा कर उन्होंने दिखाया कि जिस नेता को प्रधानमंत्री मोदी पसंद नहीं करते, कभी उनके समाधि स्थल पर नहीं गए, उन्हें भी राहुल सम्मान दे रहे हैं। भले ही भाजपा नेहरू को गाली दे, उसके सांसद गांधी पर सवाल उठाएं, लेकिन वे वाजपेयी का सम्मान करेंगे। लोग कह रहे हैं कि मोदी को भी नेहरू का सम्मान करना चाहिए।

राहुल के वाजपेयी के समाधि स्थल जाने का राजनीतिक असर भी होगा। ब्राह्मण, खासकर यूपी-मध्य प्रदेश के ब्राह्मण वाजपेयी जी को अपना नेता मानते रहे हैं। यह जाति पिछले दशकों में कांग्रेस से अलग होकर भाजपा के साथ चली गई। वाजपेयी को मोदी सम्मान नहीं देते हैं, इससे वह दुखी थे। अब राहुल ने वाजपेयी जी को सम्मान देकर उनके दिल में अपने लिए सॉफ्ट कॉर्नर तो बना ही लिया।

वाजपेयी जी ने ही 2002 में गुजरात दंगे के बाद तब मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को राज धर्म का पालन करने की सलाह दी थी। राहुल ने वाजपेयी जी को सम्मान देकर मोदी की उस कमजोरी को भी फिर से सबके सामने खोल दिया है। इसका असर मुसलमानों पर सकारात्मक पड़ेगा।

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