गाय, अंबेडकर और गांधी, गांधी ने कहा था, लास्ट सैल्यूट, श्राद्ध, आखिरी सलाम, अन्तिम युद्ध, घर वापसी कह रैदास खलास चमारा, पगड़ी संभाल जट्टा, तफ्तीश,हिन्दू कोड बिल समेत कई नाटकों के लेखक एवं बिहार के निवासी नाटककार राजेश कुमार को उत्तर प्रदेश सरकार ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 2014देने की घोषणा की है।


बिहार के भागलपुर शहर के मूल निवासी चर्चित नाटककार राजेश कुमार को 2014 के लिए उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने श्री कुमार को नाट्य लेखन के लिए यह पुरस्कार देने की घोषणा की है। वर्ष 2009 से 2018 तक के उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, सफदर हाशमी पुरस्कार, बीएम शाह एवं रत्न सदस्यों की घोषणा की गई है।

श्री कुमार देश के चर्चित नाटककार है। बिहार के आरा और भागलपुर रंगमंच से वर्षो जुड़े रहने के बाद नौकरी के दौरान उत्तर प्रदेश में कई दशकों से रंगमंच से जुड़े है। उन्होंने गाय, अंबेडकर और गांधी, गांधी ने कहा था, लास्ट सैलयूट, श्राद्ध, आखिरी सलाम, अन्तिम युद्ध, घर वापसी कह रैदास खलास चमारा, पगड़ी संभाल जट्टा, तफ्तीश, हिन्दू कोड बिल सहित कई पूर्णकालिक नाटक लिखे हैं।

अस्मिता थियेटर ग्रुप द्वारा अरविन्द गौड़ के निर्देशन में राजेश कुमार के कई नाटकों का शो देशभर में होता रहा है। देश की अन्य नाट्य संस्थाएं भी इनके नाटकों का मंचन करती रहती हैं। चर्चित फिल्म निर्माता महेश भट्ट के प्रोडक्शन में राजेश कुमार के कई नाटकों का मंचन हुआ है । कह रैदास खलास चमारा नाटक के लिए उन्हें मोहन राकेश सम्मान भी मिल चुका है। राजेश कुमार के तमाम नाटक सामाजिक एवं राजनीतिक सवालों को उठाते मिलते हैं, जो एक नई सोच पैदा करती है ।
बिहार में जन्मे राजेश कुमार ने नाट्य दुनिया में प्रवेश 1976 में नुक्कड़ नाटक आंदोलन से की थी। आरा की नाट्य संस्था युवानीति, भागलपुर की दिशा,शाहजहांपुर की नाट्य संस्था अभिव्यक्ति के संस्थापक सदस्य रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में पेशे से इंजीनियर रहे राजेश कुमार इन दिनों लखनऊ के रंगमंच में सक्रिय है। उनके चर्चित नुक्कड़ नाटकों में जिन्दाबाद-मुर्दाबाद, रंगा सियार, जनतन्त्र के मुर्गे, हमे बोलने दो शामिल हैं।
वहीं, प्रकाशित नाट्य पुस्तकों में मोरचा लगाता नाटक, नाटक से नुक्कड़ नाटक तक, जनतन्त्र के मुर्गे (नुक्कड़ नाटक संग्रह), घर वापसी, तफ्तीश प्रमुख्य हैं। नाट्य लेखन के साथ-साथ कहानी लेखन भी राजेश कुमार ने बखूबी किया है। धर्मयुग, सारिका जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनकी कई कहानियों का प्रकाशन भी हो चुका है।

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