Rajgir में एक और स्वर्ण भंडार, अद्भुत है Veerayatan की लाइब्रेरी

Rajgir में बिम्बिसार का स्वर्ण भंडार गुफा देखा होगा, लेकिन Veerayatan की लाइब्रेरी भी किसी स्वर्ण भंडार से कम नहीं। यहां ऐसी पुस्तकें, जैसी कहीं और नहीं।

कुमार अनिल

राजगीर में पर्यटकों की भीड़ बढ़ती जा रही है। शोर और कोलाहल भी बढ़ रहा है, लेकिन यहीं है वीरायतन, जहां अब भी पहाड़ों की शांति महसूस की जा सकती है। वीरायतन के सैकड़ों पेड़ विविध तरह के पक्षियों के बसेरा भी हैं, जिनकी चहचहाहट कहीं और नहीं मिलेगी। कोई यहां ठौर बनाए पक्षियों की प्रजाति और उनकी संख्या गिने तो, बेहतर होगा। वीरायतन में प्रसिद्ध आंखों का अस्पताल है, भगवान महावीर से जुड़े इतिहास पर आधारित म्यूजियम है, लेकिन एक और खास चीज है। वह है यहां की लाइब्रेरी-ज्ञानांजलि।

वीरायतन की ज्ञानांजलि में ऐसी बेशकीमती पुस्तकें हैं, जो बिहार में कहीं और नहीं मिलेंगी। भारत के विविध दर्शन पर यहां गंभीर पुस्तकें हैं। साहित्य, इतिहास, राजनीति, भाषा, संस्कृति पर तो पुस्तकें हैं ही, अगर आप अभिनय (एक्टिंग) में रुचि रखते हैं, तो उस विषय पर भी ऐसी पुस्तकें मिलेंगी, जैसी शायद ही बिहार की किसी लाइब्रेरी में मिले।

वीरायतन परिसर में पद्मश्री आचार्यश्री चंदना जी के निवास केे निकट ही पुस्कालय का सुंदर और साफ भवन है, जिसमें दस हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं। इन पंक्तियों का लेखक जब पुस्कालय में पहुंचा, तो जैसे लगा चारों तरफ हीरे-मोती बिखरे हैं। खास बात यह है कि आप जितना लेना चाहें ले सकते हैं। कोई रोक नहीं। भीतर अर्धगोलाकार बड़े कक्ष में पुस्तकों की आलमारियां भी अर्धगोलाकार सजी हैं। कई अलमारियों में हस्तलिखित पुस्तकें भी सुरक्षित हैं, जो मुख्यतः दर्शन पर केंद्रित हैं।

राहुल सांकृत्यायन की बौद्ध धर्म पर अनेक खोजी पुस्तकें हैं। यहीं भाषा पर पुस्तकों की एक सीरिज ने चौका दिया। मोटी-सी पुस्तक हिंदी विश्वकोश देखकर पहले लगा कि यह कोई आम डिक्शनरी है। फिर देखा कि वह 13 खंडों में है, तो रुचि बढ़ी। अब तक मैंने किसी डिक्शनरी के 13 खंड नहीं देखे थे। एक पुस्तक उठाई, तो चकित रह गया। यह विश्वकोश अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों पर था। एक-एक शब्द के बारे में तीन-तीन, चार-चार पेज में विवरण दिया गया है। जैसे उंगली का अर्थ हम सब समझते हैं, लेकिन इस विश्वकोश में उंगली के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी दी गई है कि आप ठहर जाएंगे। एक पेज में उंगलियों से दर्जनों भाव प्रकट करने के फोटो हैं। हर उंगली का महत्व आदि-आदि। खास बात यह है कि उर्दू, फारसी, अरबी के प्रमुख नामों, शहरों के बारे में भी दो-दो-तीन-तीन पेज में विस्तार से वर्णन है। विश्वकोश की सिरीज लगभग सौ साल पहले नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित है। अ से आर्यभट। आर्यभट का अर्थ बताते हुए यह भी बताया गया है कि आर्यभटीय में उनके 121 श्लोक हैं, जो चार खंडों-गीतिकापाद, गणितपाद, क्लक्रियापाद तथागोवपाद में विभाजित हैं। इमली के बारे में हम कितना कम जानते हैं, यह इसी विश्वकोश से पता चला। इसमें इमली का पूरा इतिहास ही लिखा है। ऐसे ही हर शब्द के बारे में आधिकारिक और विस्तृत जानकारी दी गई है।

जैन, बौद्ध तथा हिंदू धर्म पर सैकड़ों की संख्या में शोधपूर्ण पुस्तकें हैं। राहुल सांकृत्यायन, ओशो की पूरी रिरीज है। सारे वेद, उपनिषद हैं। और जैन धर्म की विविध पुस्तकों और टीकाओं की लंबी फेहरिस्त है।

आप जब भी राजगीर जाएं, तो वीरायतन के इस अमूल्य भंडार से जरूर झोली भरें। वीरायतन की लाइब्रेरी आपका जीवन बदल सकती है।

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