राजनीतिक संत बनने की राह चले नीतीश, जानिए कैसे

चंपारण पहुंचकर ही गांधी, महात्मा गांधी और बापू कहलाए। अब यहीं से नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा शुरू कर रहे हैं। वे राजनीतिक संत की राह चले, ऐसे..।

चंपारण में ही महात्मा गांधी ने देश का पहला सत्याग्रह किया था। अब उसी चंपारण से राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। उनकी यात्रा चार दिन बाद 22 दिसंबर से शुरू होगी और 15 जनवरी तक चलेगी। नीतीश कुमार शायद देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो इस पद पर रहते हुए समाज सुधार यात्रा कर रहे हैं। उनकी समाज सुधार यात्रा के केंद्र में महिला शक्ति है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी समाज सुधार यात्रा चंपारण से प्रारंभ करके विभिन्न जिलों में जनता को #शराबबंदी, #दहेज_प्रथा_उन्मूलन, #बाल_विवाह_मुक्ति#जल_जीवन_हरियाली अभियान के बारे में जागरूक करेंगे। 25 दिनों तक चलनेवाली समाज सुधार यात्रा के केंद्र में महिलाएं हैं।

शराबबंदी की समीक्षा करने या ढीला करने की मांग को पूरी तरह खारिज कर चुके नीतीश कुमार महिला शक्ति को सक्रिय करना चाहते हैं। मधुबनी यात्रा के दैरान उन्होंने महिलाओं से अपील की कि जहां भी कोई शराब पीता दिखे, उसका विरोध करें। शराबबंदी के अलावा दहेज उन्मूलन के केंद्र में भी महिलाएं ही हैं। दहेज के कारण सबसे ज्यादा प्रताड़ना का शिकार महिलाओं को ही होना पड़ता है। मुख्यमंत्री की समाज सुधार यात्रा का एक और पहलू है बाल विवाह मुक्ति, यह भी महिलाओं से संबंधित ज्यादा है। जल जीवन हरियाली सबका सवाल है, पर इसमें महिला ग्रुपों को सक्रिय करने की ज्यादा संभावना है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं पर जोर देकर दो काम एकसाथ करना चाहते हैं। वे आधी आबादी को सक्रिय और जागरूक करना चाहते हैं, ताकि बिहारी समाज की प्रगति को गति मिल सके। साथ ही महिला शक्ति को समाज सुधार के इन मुद्दों से जोड़ना उन्हें अन्य राजनीतिज्ञों से अलग करेेगा। निश्चित रूप से इसका उन्हें राजनीतिक लाभ भी मिलेगा। वैसे भी माना जाता है कि चुनाव में सबसे ज्यादा महिलाओं का वोट नीतीश कुमार को ही मिलता है। अगर वे अपनी इस यात्रा से महिला शक्ति को स्वतंत्र रूप से संगठित होने का मंत्र और मंच दे पाते हैं, तो आधी आबादी में उनकी छवि और भी मजबूत होगी।

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