राष्ट्रहित में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं नीतीश कुमार!

बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है। नीतीश कुमार ने मंत्रियों-विधायकों की बैठक की। प्रत्याशी चयन से पहले सर्वसम्मति के लिए आजतक मीटिंग नहीं की। फिर क्या है वजह?

कुमार अनिल

बिहार की राजनीति में कोई बड़ी उथल-पुथल होनेवाली है। कल एक अप्रत्याशित घटना हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहुत कम समय के नोटिस पर सारे मंत्रियों-विधायकों और पार्टी अध्यक्ष को बुलाया। जो लोग यह सोच रहे हैं कि नीतीश कुमार ने यह मीटिंग राज्यसभा प्रत्याशी के चयन के लिए सर्वसम्मति बनाने के लिए बुलाई, वे नीतीश कुमार की कार्यशैली से परिचित नहीं हैं। कहा तो यही गया कि राज्यसभा प्रत्याशी चयन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया गया है, लेकिन यह भी आधा सत्य है।

क्या अनिल हेगड़े का नाम तय करने से पहले कोई मीटिंग हुई, जवाब है नहीं। नीतीश कुमार की कार्यशैली यह रही है कि वे फैसला लेते हैं। फिर सारे लोग सहमति जताते हैं। खुद आरसीपी सिंह को भी बिना किसी मीटिंग के भेजा गया था। तो फिर आखिर नीतीश कुमार ने यह मीटिंग क्यों बुलाई? नौकरशाही डॉट कॉम ने यही सवाल कई लोगों से किया, जो बिहार की राजनीति का नब्ज पहचानते हैं और नीतीश कुमार को भी समझते हैं।

नौकरशाही डॉट कॉम को खास सूत्रों से मालूम हुआ कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीटिंग में चलते-चलते इशारा कर दिया कि वे देशहित में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। इसके लिए तैयार रहिए।

राष्ट्रहित में बड़े फैसले को दो अर्थों में देखा जा रहा है। पहला, यह कि वे जातीय जनगणना कराने का मन बना चुके हैं और उन्हें पता है कि उनके इस निर्णय से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बौखलाएगा, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व जातीय जनगणना के खिलाफ अपना स्टैंड जाहिर कर चुका है। यही नहीं, उसके बाद बिहार की राजनीति और राजनीतिक समीकरण दोनों बदल जा सकते हैं। एक दूसरा अर्थ यह निकाला जा रहा है कि देश में जिस तरह सांप्रदायिक उभार पैदा किया जा रहा है, इस पर वे भाजपा से अलग राह की घोषणा कर दें। राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की कमजोर स्थिति का फायदा उठाते हुए कोई नई भूमिका तय करें। दोनों ही स्थितियों में यह दूरगामी प्रभाव और नतीजे वाला निर्णय होगा।

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