रवीश ने क्यों कहा, ध्वस्त होती संस्थाओं के युग में, खड़ी हुई एक नई संस्था

रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया है। उसके बाद जो उन्होंने कहा उसे हर नागरिक सुनना चाहिए। बता दिया ध्वस्त होती संस्थाओं के युग में…

कुमार अनिल

संघर्ष आदमी को विनम्र बना देता है। रवीश कुमार के करोड़ों चाहने वाले हैं। देश-विदेश में प्रतिष्ठा है। इसके बावजूद उनकी विनम्रता देखिए, जिसमें वे एनडीटीवी से इस्तीफा देने के बाद सबका आभार जता रहे हैं। उन्होंने यू-ट्यूब पर इसका वीडियो डाला है। कुछ ही घंटे में 20 लाख लोग देख-सुन चुके। इस वीडियो में रवीश कुमार की ऊंचाई दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि जब देश में एक-एक करके संस्थाओं को ध्वस्त किया जा रहा है, ठीक उसी दौर में एक नई संस्था बनती दिख रही है। वह नई संस्था सजग दर्शक हैं। देश के सजग नागरिक हैं। जो उनके हर कार्यक्रम पर नजर रखते हैं। आलोचना करते हैं, सुझाव देते हैं और कभी-कभी डांट भी लगाते हैं।

रवीश कुमार ने कहा कि नई संस्था दर्शकों की संस्था है। आपने जनता को, जन को जिंदा रखा है। आपने लोकतंत्र के बीज को बचा कर रखा। मेरे हर कार्यक्रम में आप दर्शकों में किसी न किसी का सहयोग रहा है। आपने मेरे कई कार्यक्रम के दूसरी भाषाओं में अनुवाद किए। दूसरी भाषाओं की अच्छी चीजें अनुवाद करके भेजा। अगर कोई गलती हुई, तो सुधार दिया। मेरे आसपास एक न्यूज रूम बन गया था, जो वास्तव में आपके घरों में था, आपके दिमाग में था। विदेशों में मेरे लिए वीडियो रिकॉर्ड किए। लोग पत्रकार भी बन रहे थे। सिर्फ इसलिए कि प्राइम टाइम में कोी गलती न जाए। प्राइम टाइम मेरा नहीं, आपका कार्यक्रम बन गया था।

पत्रकारिता अब संस्थानों में नहीं बची है। आप जैसे दर्शकों में पत्रकारिता बची है। हो सकता है, लोकतंत्र भले ही खत्म कर दिया जाए, लेकिन लोकतंत्र की चाहत को खत्म नहीं किया जा सकता। रवीश कुमार का टीवी जगत से बाहर आना देश के लिए बड़ी घटना है। उनके बाहर होने से पूरे टीवी जगत की विश्वसनीयता खत्म हो गई है। अब लाखों लोग टीवी पर समाचार नहीं देखेंगे, क्योंकि अब क्या देखें, बचा ही क्या है। अब कोई सत्ता से सवाल करने वाला नहीं बचा। जनता का पक्ष लेने वाला नहीं बचा। अब रेलवे की वैकेंसी, रोजगार, अस्पताल और लोकतंत्र, भाईचारा पर प्राइम टाइम करने वाला कोई नहीं बचा।

ये है रवीश कुमार का वह वीडियो-https://youtu.be/G9K9vpGTofo

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