RJD की दहाड़ पर झुकी Modi सरकार, युनिवर्सिटी नियुक्तियों के रोस्टर में बदलाव को हुई तैयार

RJD की दहाड़ पर Modi सरकार को झुकना पड़ा है. अब सरकार इस बात पर तैयार हो गयी है कि युनिवर्सिटियों में प्रोफेसर आदि पदों पर नियुक्ति के लिए 13 प्वाइंट रोस्टर को खत्म किया जायेगा. इसके बदले पुराने 200 प्वाइंट रोस्टर को फिर से लागू किया जायेगा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने विश्विद्यालयों में नियुक्ति के लिए ओबीसी, एससी और एसटी आरक्षण के लिए विश्वविद्यालयों को युनिट मानने के बजाये डिपार्टमेंट को युनिट मानने का फैसला सुनाया था. इस कारण आरक्षित वर्गों के लिए नौकरियों के दरवाजे सीमित हो गये थे. यहां तक कि इसी आधार पर एक केंद्रीय विश्वविद्यालय ने नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया था. इस में आरक्षित वर्ग के लिए एक भी नियुक्ति नहीं थी.

इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध शरू किया. राजद ने तो बाजाब्ता इसके लिए आंदोलन की शुरुआत कर दी. तेजस्वी यादव ने आरक्षण बढ़ाओ यात्रा शुरू कर दी. साथ ही 7 फरवरी को राजद समेत, बसपा, सपा व अन्य दलों के नेताओं ने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन तक किया.

[divider]

तेजस्वी ने तय कर लिया ऐसा चुनावी एजेंडा, मच सकती है विरोधियों में खलबली

[divider]

इसके बाद राज्यसभा के महासचिव ने एक पत्र जारी किया है. इसमें केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेडकर के हवाले से लिखा गया है कि सरकार ने युनिवर्सिटियों में नियुक्ति संबंधी 200 प्वाइंट रोस्टर को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटिशन दायर करेगी. अगर यह कामयाब ना रहा तो इसके लिए सरकार अध्यादेश या बिल लाने के लिए भी तैयार है. जब तक नयी व्यवस्था लागू नहीं हो जाती तब तक तमाम नियुक्तियां स्थगित रहेंगी.

[tabs type=”horizontal”][tabs_head][tab_title][/tab_title][/tabs_head][tab]

[/tab][/tabs]

इस पत्र की प्रति ट्विट करते हुए राजद सांसद मनोज कुमार झा ने उन तमाम दलों को धन्यवाद दिया है जिनने 13प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ आंदोलन को समर्थन दिया था.

गौरतलब है कि राजद के नेता तेजस्वी यादव ने इसे पिछड़े वर्गों के आरक्षण को समाप्त करने वाला फैसला बताते हुए कहा था कि अगर सरकार चंद घंटों में, बिना सर्वेक्षण कराये सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण का कानून बना सकती है तो पिछड़ों के आरक्षण को बचाने के लिए क्यों नहीं कानून ला सकती है.

 

By Editor