SaatRang : अपने बच्चे को टैगोर के स्कूल जैसा वातावरण दीजिए

कोहली की बेटी को धमकी देनेवाला एक दिन में तैयार नहीं हुआ। वाट्सएप पर रोज नफरत पढ़ने के बाद ऐसा खूंख्वार दिमाग बनता है। नफरती मैसेज से लड़िए।

रवींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना की। कुछ ही दिनों बाद उन्हें नोबेल पुरस्कर से सम्मानित किया गया। उनके स्कूल से पढ़कर निकले अमर्त्य सेन को भी बाद में नोबेल पुरस्कार मिला। सेन ने अपनी जीवनी या संस्मरण को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है, जिसका नाम है-Home in the World: A Memoir ।पुस्तक में अमर्त्य सेन ने शांति निकेतन की पढ़ाई के खास मॉडल की चर्चा की है। लिखा है- स्कूल में सभी कक्षाएं कमरों से बाहर पेड़ के नीचे लगती थीं। केवल बारिश होने पर ही कमरों में पढ़ाई होती थी। बाहर पेड़ के नीचे पढ़ाई केवल प्रकृति से जुड़ना भर नहीं था, बल्कि उसके पीछे यह समझ थी कि शिक्षक और छात्र दोनों दीवारों से मुक्त रहें। किसी प्रकार की दीवार न हो-न धर्म की, न जाति की, न भारतीय या विदेशी की। सवाल पूछने को प्रोत्साहित करने के साथ सवालों के रटे-रटाए किताबी जवाब के बजाय सृजनशीलता को बढ़ावा दिया जाता था। इस तरह वहां पढ़नेवाले छात्रों का दिमाग मुक्त होकर सोच सकता था। इसीलिए वहां पढ़ाई करनेवाले हर विषय के छात्र जीवन में न सिर्फ सफल रहे, बल्कि समाज को देकर गए।

आज स्कूल से लेकर घर तक हमने दीवारें बना दी हैं। हिंदू-मुसलमान की दीवारें हैं, संस्कृति के नाम पर सावरकर की कचरा संस्कृति परोसी जा रही है। वाट्सएप ग्रुप संकीर्ण बनाने का माध्यम बन गया है। दूसरों के प्रति नफरत, घृणा को ही राष्ट्रभक्ति कहा जा रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर और गौमूत्र से देश की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी। क्या यह पढ़कर आपके दिमाग में सवाल उठता है, अगर नहीं, तो आप भी दीवारों में गुलाम बन गए हैं। ऐसी ही दिमागी गुलामी आदमी को संकीर्ण और उग्र बनाती है। फिर किसी दिन कोई रामनरेश बन जाता है। रामनरेश ने ही पाकिस्तान से हार के बाद विराट कोहली की बेटी को रेप की धमकी दी। सोशल मीडिया में पाकिस्तान से हार के लिए शमी को जिम्मेदार बताकर उसे पाकिस्तान भेजने कहा जा रहा था। तब कोहली ने शमी का बचाव किया था।

इस देश को, समाज को, व्यक्ति को आगे बढ़ना है, तो गांधी और नेहरू को समझना होगा। सोशल मीडिया में गांधी को गाली, नेहरू को गाली देने वालों का जवाब दीजिए। इन्हें पहचानिए। ये वही लोग हैं, जो महंगाई को भी राष्ट्रहित बताते हैं। कबी किसान को आंतकवादी कहते हैं, कभी सरकार से सवाल करनेवाले जेएनयू के छात्रों को देशद्रोही। क्या आपने कंगना रनौत का जवाब दिया? किसी भाजपा-संघ के नेता ने रनौत की निंदा नहीं की, क्यों?

लेखक और प्राध्यापक पुरुषोत्तम अग्रवाल का नेहरू पर विचार जरूर सुनिए। ये है लिंक-

हिंदू संस्कृति पूरे विश्व के कल्याण, विश्व बंधुत्व की बात करती है, जबकि संघ और सावरकर का हिंदुत्व दूसरे की बर्बादी, घृणा पर आधारित है।

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