SaatRang : उपद्रवी मत बनो, सहयोगी बनो : आचार्यश्री चंदना जी

पद्मश्री आचार्यश्री चंदना जी अकेली संत हैं, जो वर्तमान से संवाद करती हैं। अमूर्त नहीं, बल्कि ठोस सवालों पर बात करती हैं। कहा-जमाने से नफरत नहीं, प्रेम करो।

कुमार अनिल

आचार्यश्री चंदना जी (ताई मां) को पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद देश के विभिन्न शहरों में विभिन्न संस्थाएं अभिनंदन समारोह आयोजित कर रही हैं। गुड़गांव, दिल्ली के बाद कल वे कोलकाता में थीं। वे देश की अकेली संत हैं, जो वर्तमान से संवाद करती हैं। वह भी अमूर्त ढंग से नहीं, बल्कि ठोस सवालों, समस्याओं और संदर्भों पर बात करती हैं।

जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गेनाईजेशन (जीतो) के कोलकाता चैप्टर द्वारा अपने सम्मान में आयोजित समारोह में आचार्यश्री चंदना जी ने विश्व की तुलना एक बड़े घोंसले से की। कहा, इसमें रहनेवाले पक्षी आपस में लड़ने लगें, तो क्या होगा? उन्होंने भगवान महावीर की बातों को याद दिलाया कि जब एक बार उनसे किसी ने पूछा था कि दुनिया के लिए उनका क्या संदेश है, तो भगवान महावीर ने कहा था कि वे नहीं कहते कि हर व्यक्ति साधु बन जाए, हर व्यक्ति कठिन तप करे। वे कहते हैं कि कर सको, तो सबसे प्रेम करो। पूरी दुनिया से प्रेम करो।

आचार्यश्री चंदना जी ने दूसरे जीवों का उदाहरण दिया कि वे अपनी प्रजाति के जीव पर हमला नहीं करते, लेकिन मनुष्य अपने ही तरह के दूसरे मनुष्य को खत्म करना चाहता है, उससे नफरत करता है, हिंसा करता है।

ताई मां ने कहा कि हमारा अस्तित्व विश्व के अनेक पदार्थों, जीवों के साथ सहअस्तित्व पर टिका है। सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं। इसलिए उपद्रवी मत बनो, सहयोगी बनो। उन्होंने कहा कि हम ज्वालामुखी पर खड़े हैं। कब किसका दिमाग खराब हो जाए और अगर किसी ने एटम बम के बटन पर उंगली रख दी, तो क्या होगा?

आचार्यश्री ने प्रेम शब्द पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया की हर समस्या का समाधान प्रेम से हो सकता है। अगर आप चिंता में डूबे हैं, मानसिक परेशानी में हैं, दुख में हैं, तो पड़ोसी को देखें। पड़ोसी से प्रेम करें। उसकी मदद करें। उसका दुख दूर करने में सहयोगी बनें। आप देखेंगे कि आप की अपनी चिंता, परेशानी कम हो जाएगी। उन्होंने अपने बारे में कहा कि भगवान महावीर के इस सूत्र को उन्होंने अपनाया। सबसे प्रेम करे, सबको अपना समझो, सबकी मदद करो।

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