सावधानी जरूरी, साल-दर-साल बढ़ रही सांस की बीमारी : डॉ. अग्रवाल

डॉ. सुनील अग्रवाल पटना मेडिकल कॉलेज में पल्मोनरी मेडिसिन के सहायक प्राध्यापक हैं। उनसे जानिए क्यों बढ़ रही है सांस संबंधी बीमारी। कैसे करें बचाव…।

पटना मेडिकल कॉलेज में पल्मोनरी मेडिसिन के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनील अग्रवाल कहते हैं कि भारत की आबादी दुनिया में केवल 18 फ़ीसदी है, लेकिन भारत सांस- संबंधित बीमारियों का 32% वैश्विक बोझ उठा रहा है। सांस संबंधित बीमारियों का मुख्य कारण प्रदूषण की बढ़ती मात्रा है। सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी का 33.6 फ़ीसदी भाग परिवेश, वायु प्रदूषण, 25.8 प्रतिशत घरेलू वायु प्रदूषण और 21 फ़ीसदी स्मोकिंग के लिए जिम्मेदार है। भारत के कम विकसित राज्यों में हृदय रोग और डायबिटीज की बीमारी बढ़ती जा रही है। इन राज्यों में पहले से ही सांस संबंधी बीमारियों की समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश में 50 फ़ीसदी मरीज सांस से जुड़ी किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होने के कारण डॉक्टर के पास जाते हैं एवं दूसरे नंबर पर पेट रोग के शिकार मरीजों का आता है।

अस्थमा एवं सीओपीडी से पूरी तरह बचाव संभव नहीं है, लेकिन बीमारी की तीव्रता को कम किया जा सकता है। साथ ही प्रीमेच्योर मौत को भी कम किया जा सकता है। समय-समय पर बीमारी की तीव्रता बढ़ाने वाले कारण की पहचान कर उससे बचना तथा दवाइयों के सेवन द्वारा इस बीमारी को बढ़ने से काफी हद तक रोका जा सकता है। रिस्क फैक्टर जैसे तंबाकू, स्मोकिंग, वातावरण प्रदूषण को कम करना होगा। आम जनता को बीमारी से बचाव के बारे में बताना एवं उसपर अमल करना काफी जरूरी है।
रिलीवर

जब खांसी और सांस लेने में दिक्कत हो उस वक्त इसे लिया जाता है। यह हवा की नदियों को खोलने में मदद करता है ताकि उनमें हवा ज्यादा आसानी से आ-जा सके। इस तरह यह तुरंत काम करती है। इस दवा को हमेशा अपने पास रखना चाहिए। (शेष अगले अंक में)

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