सोशल मीडिया पर जुबान बंद नहीं कर सकता प्रशासन : एससी

अब नाना के लिए अस्पताल में बेड मांगने पर एफआईआर नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज विभिन्न राज्य सरकारों के निरंकुश आदेशों के खिलाफ कही बड़ी बात।

एक तरफ लोगों को अस्पताल में बेड, आक्सीजन नहीं मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ कई राज्य सरकारों ने ऐसे आदेश दिए थे, जिससे सोशल मीडिया पर मदद मांगनेवालों में भय व्याप्त हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर मदद मांगना गलत नहीं है। मदद मांगनेवालों पर कोई कार्रवाई हुई, तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

लाइव लॉ के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कोविड से निपटने के मामले की सुनवाई करते हुए बड़ी बात कही। कहा- सोशल मीडिया पर लोगों की जुबान बंद नहीं कर सकते।

इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी कहा था कि महामारी के दौर में सोशल मीडिया लोगों की मदद कर रहा है। लोगों तक मदद पहुंचाने का माध्यम बना है।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महत्व तब बढ़ जाता है, जब आप इसे यूपी सरकार के हाल के फैसलों से जोड़ कर देखें। यूपी के मुख्यमंत्री ने हाल में कहा था कि राज्य में ऑक्सीजन, बेड की कोई कमी नहीं है और जो लोग भी सोशल मीडिया में ऐसी कमी की झूठी बात कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर नजर रखने तक का आदेश दिया था।

हाल में अमेठी के एक युवा का मामला तब चर्चित हो गया, जब उसने अपने नाना के इलाज के लिए सोशल मीडिया पर मदद मांगी। उस युवा पर कई मुकदमे प्रशासन ने किए। इसके बाद मदद मांगनोवालों में भय व्याप्त हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर जस्टिस चंद्रचूड़ ट्रेंड करने लगे। लोग उनकी बहुत सराहना कर रहे हैं। बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट भी शामिल थे।

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