उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि राज्य में 12 साल में बैंकों के जरिए ऋण वितरण में 10 गुना बढ़ोतरी हुई है वहीं दूसरी ओर 31 मार्च, 2019 तक राज्य में बैंकों का 15 हजार करोड़ गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) है।

नीतीश सरकार में वित्त मंत्री की भी जिम्मेवारी संभाल रहे श्री मोदी ने आज राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 68 वीं त्रैमासिक बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में बताया कि 2007-08 में जहां मात्र 10,762 करोड़ रुपये ऋण बांटे गए थे ,वहीं 2018-19 में 10 गुना ज्यादा 1,09582 करोड़ का कर्ज बैंकों ने दिया है जो तय लक्ष्य 1,30,000 करोड़ का 84.29 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में साख-जमा अनुपात में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

श्री मोदी ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये की वार्षिक साख योजना तय की गई है जिसका 90 फीसदी से अधिक हासिल करने का बैंकों को निर्देश दिया गया है।

उप मुख्यमंत्री ने बैंकों को अधिकाधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) देने, केसीसी सहित सभी प्रकार के ऋण के लिए आवेदन और स्वीकृति की ऑनलाइन सुविधा प्रदान करने, बैंकिंग सुविधा से वंचित 160 ग्रामीण केन्द्रों पर आगामी तीन महीने के अंदर बैंक आउटलेट खोलने, शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम की संख्या बढ़ाने, साइबर फ्रॉड की रोकथाम का कारगर उपाय करने का निर्देश दिया।
श्री मोदी ने कहा कि केसीसी के तहत भारत सरकार के बिना गिरवी रखे ऋण एक लाख से बढ़ा कर एक लाख 60हजार तक देने के निर्देश तथा इस वित्तीय वर्ष से डेयरी, फिशरी और पॉल्ट्री किसानों को भी केसीसी की सुविधा का लाभकिसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के ऑनलाइन ‘59 मिनट में एक करोड़ ऋण स्वीकृति योजना’ के तहत बिहार में 867 लोगों को 242 करोड़ का ऋण दिया गया है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 मार्च, 2019 तक बिहार में बैंकों का 15 हजार करोड़ एनपीए है जो कुल कर्ज का करीब 11 प्रतिशत है जबकि जीविका के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गरीब दीदियों की कर्ज वापसी की दर 98 फीसदी है । उन्होंने कहा कि बैंक एनपीए को कम करने के लिए कर्ज वूसली का समुचित तंत्र विकिसत करें और किसान भी समय पर ऋण वापस कर राज्य सरकार द्वारा देय एक प्रतिशत और केन्द्र सरकार के तीन प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ उठायें।

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